शीला की दिल्ली वापसी से सियासी हलचल तेज
शीला दीक्षित द्वारा केरल के राज्यपाल पद से इस्तीफे के बाद दिल्ली के सियासी हलकों में हलचल तेज हो गई है.
दिल्ली : शीला दीक्षित केरल के राज्यपाल के पद से इस्ताफा देने के बाद प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करती हुई. |
शीला दीक्षित ने मंगलवार को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप दिया. अब दिल्ली में उन्हें कोई महत्वपूर्ण पद दिए जाने की चर्चा तेज हो गई है.
राज्यपाल के पद से मुक्त होने के बाद पार्टी में शीला दीक्षित की नई जिम्मेदारी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं.
कांग्रेस आलाकमान ने अरविंदर सिंह लवली को प्रदेश अध्यक्ष का पदभार सौंप दिया है और लवली ने कांग्रेस के संकट की घड़ी में पार्टी के सभी नेताओं को साथ रखते हुए सफल नेतृत्व दिया है. इसलिए लवली को प्रदेश अध्यक्ष पद पर बने रहने की पूरी संभावना है.
सूत्रों की मानें तो शीला दीक्षित को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का महासचिव और दिल्ली का प्रभारी बनाने की चर्चा शुरू हो गई है. वे पंद्रह वर्षो तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. इसलिए अब वे महासचिव पद की प्रबल दावेदार हैं. साथ ही कांग्रेस के लिए वह दिल्ली का सबसे बड़ा चेहरा भी हैं.
हालांकि आम आदमी पार्टी की उपस्थिति से अभी भी कांग्रेस का वजूद घटा है लेकिन अब दिल्ली में कांग्रेस का विरोध भी नहीं है. आने वाले दिनों में विधान सभा चुनाव की संभावना को देखते हुए वह भाजपा और आप को चुनौती देने पूरी तरह सक्षम हैं और चुनावों में भीड़ जुटाने में भी सक्षम हैं.
चुनावी माहौल में उनके कार्यकाल की तुलना भी आप के 49 दिनों के कार्यकाल से की जा सकती है जिसका लाभ कांग्रेस को मिल सकता है.
दूसरी ओर दो कांग्रेस विधायक चौधरी मतीन अहमद और मोहम्मद आसिफ ने महीने भर पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर शीला दीक्षित को दिल्ली का प्रभार देने की वकालत की थी. उन्होंने कहा था कि चुनाव को देखते हुए वे दिल्ली का सर्वमान्य चेहरा हैं.
इस्तीफे के बाद शीला दीक्षित से मिलने वालों में कांग्रेस विधायकों और पूर्व विधायकों का तांता लगा हुआ है.
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