केंद्र सरकार कानून बना कर ई-रिक्शा चलाने के लिए स्वतंत्र : हाईकोर्ट

Last Updated 22 Aug 2014 06:15:52 AM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार कानून बना कर ई-रिक्शा चलाने की इजाजत देने के लिए आजाद है.


केंद्र सरकार के ई-रिक्शा चलाने की अस्थायी इजाजत देने के अनुरोध को हाईकोर्ट ने ठुकराया.

केंद्र सरकार के ई-रिक्शा चलाने की अस्थायी इजाजत देने के अनुरोध को हाईकोर्ट ने ठुकराते हुए कहा है कि वह कानून बनाने में सक्षम है और इसके लिए वह ऐसा करके ई-रिक्शा चलाने की इजाजत देने के लिए आजाद है.

अदालत ने 28 अगस्त तक ई-रिक्शा चलाने पर अंतरिम रोक जारी रखते हुए कहा कि उसका रुख साफ है वह बिना कानून बने ऐसा कुछ नहीं कर सकती. बुधवार को भी सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार के उस विज्ञापन पर सवाल उठाया था जिसमें सितम्बर माह तक तीन पहिया स्कूटर रिक्शा (टीएसआर) प्रकार के वाहनों को व्यावसायिक लाइसेंस लेने की बात कही गई थी.

न्यायमूर्ति बीडी अहमद व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की बेंच के समक्ष अतिरिक्त महाधिवक्ता पिंकी आनंद ने अदालत से अनुरोध किया कि ई-रिक्शा चलाने के लिए अंतरिम राहत दी जानी चाहिए. इस बाबत सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए अंतरिम दिशानिर्देशों का हवाला दिया गया.

इस पर अदालत ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा विशाखा मामले का हवाला देते हुए कहा कि यदि कानून में कोई कमी है तो उसे कार्यपालिका दूर करने के लिए कदम उठा सकती है. बेंच ने एएसजी से कहा कि वह क्यों आपको (केंद्र सरकार) निर्देश दें,आप खुद यह कदम उठाएं. जहां विधान मंडल ने कदम उठाया और मोटर वाहन कानून बनाया, वहीं अगर कानून में कोई कमी है तो कार्यपालिका उसे दूर कर सकती है. 

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता शहनवाज खान के वकील सुग्रीव दूबे ने कहा कि वर्ष 2012 से दिल्ली सरकार कह रही है कि ई-रिक्शा कानून के अनुसार अवैध है और इसके चलने से यातायात में बाधा पहुंचती है लेकिन इस बाबत नियमन करने के लिए कुछ नहीं किया गया तो दो महीने में केंद्र सरकार कौन सा कानून बना लेगी. जबकि बैट्री रिक्शा एसोसिएशन की तरफ से पेश एडवोकेट आरके कपूर ने अदालत से कहा कि वह अपने रोक के आदेश पर पुर्नविचार करे क्यों कि ई-रिक्शा पर्यावरण के अनुकूल है. इस पर अदालत ने जवाब देते हुए कहा कि उसे लॉ फ्रेंडली भी होना चाहिए.

चार सवारी व 15 किमी की गति से वार्ड में दौड़ सकेंगे ई-रिक्शे

सियासी नाक बचाने के लिए दक्षिणी दिल्ली नगर निगम स्थायी समिति की बैठक में बृहस्पतिवार को ई-रिक्शा चालकों को नियमित करने के लिए ऑन टेबल प्रस्ताव लाया गया. हालांकि विपक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की. स्थायी समिति के चेयरमैन ने आगामी बैठक में चर्चा कराने की बात कह प्रस्ताव स्थगित कर दिया.

पॉलिसी के मुताबिक चार सवारी और 15 किलोमीटर की गति से केवल गलियों में ही रिक्शा चलेंगे. कोर्ट में मामला लंबित होने से ई-रिक्शा चालकों का भविष्य अधर में है. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की घोषणा को देर से ही सही अमल में लाने के लिए दक्षिणी दिल्ली निगम ने ई-रिक्शा को लेकर पॉलिसी तैयार की है.

ई-रिक्शा केवल वार्ड के अंदर गलियों में चलेंगे. चार सवारिया बैठेंगी और 15 किलोमीटर से अधिक स्पीड नहीं होगी. ट्रैफिक कानून तोड़ने पर कार्रवाई होगी. ई-रिक्शा को हर साल निगम से फिटनेस सर्टिफिकेट बनवाना पड़ेगा. पंजीकरण और लाइसेंस के लिए जरूरी दस्तावेज देने होंगे. ई-रिक्शा के लिए कोड नंबर जारी किए जाएंगे. हर निगम में रिक्शा का रंग अलग-अलग होगा. बहरहाल स्थायी समिति की अगली बैठक में चर्चा होने के बाद प्रस्ताव पास हो सकेगा.



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