यमुना नदी का टोपोग्राफिकल सर्वेक्षण नहीं हुआ पांच वर्षो तक : सीएजी
सीएजी की शुक्रवार को जारी की गई रिपोर्ट में यमुना नदी का टोपोग्राफिकल (स्थलाकृतिक) सर्वेक्षण लगातार पांच वर्षो तक नहीं करने पर गंभीर आपत्ति जताई गई है.
यमुना नदी का टोपोग्राफिकल सर्वेक्षण नहीं हुआ पांच वर्षो तक : सीएजी |
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण विभाग ने वर्ष 2004 तक यमुना का वार्षिक टोपोग्राफिकल सर्वे कराया किन्तु वर्ष 2005 से वर्ष 2011 तक प्रशिक्षित कर्मचारियों एवं सर्वेयर की कमी के कारण कोई सर्वे नहीं कराया गया.
हालांकि वर्ष 2012 में 40.70 लाख की लागत से सर्वे का काम आउटसोर्स किया गया जो दिसम्बर 2013 तक विभाग को प्राप्त नहीं हुआ था.
सिंचाई एवं बाढ़ नियन्तण्रविभाग ने स्वीकारा कि नदी के मार्ग में कितना परिवर्तन हुआ है इसके निर्धारण के लिए टोपोग्राफिकल सर्वे कराया जाता है.
यमुना नदी के दोनों किनारे तटबन्ध का निर्माण शहर को बाढ़ से बचाने के लिए किया जाता है. इस कारण सीएजी ने पांच वर्ष की अवधि में टोपोग्राफिकल सर्वे नहीं कराने पर आपत्ति जताई है. इसके अलावा दिल्ली में बड़े नालों की क्षमता और प्रवाह की गति के निर्धारण के लिए भी कोई अध्ययन नहीं किया गया.
सीएजी के प्रश्न के जवाब में लोक निर्माण विभाग ने स्वीकार किया कि तीव्र प्रवाह वाले नालों की क्षमता तथा प्रवाह की गति के मद्देनजर इन बड़े नालों के डिज़ाइन का निर्धारण करने के लिए कोई अध्ययन नहीं किया गया.
प्रत्येक नाले की स्पष्ट हाइड्रोलॉजिकल विशेषताएं होती हैं और दिल्ली शहर की आवश्यकताओं के अनुरूप सभी नालों सम्बन्धी आकड़ों की जरूरत है. दिल्ली सरकार के अलावा नई दिल्ली नगर पालिका परिषद और नगर निगम के पास भी नालों का कोई डाटा बेस नहीं है. इसी कारण सीएजी ने इसपर ऐतराज जताया है.
हालांकि अब दिल्ली की समस्त जल निकास प्रणाली के अध्ययन का कार्य आईआईटी दिल्ली को दिया गया है. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में दिल्ली सरकार द्वारा मानसून की तैयारी में भी कमी पाई है और मानसून के पूर्व सीवरेज की सफाई कार्य में भी कमियां पाई है. अब इस रिपोर्ट पर पब्लिक एकाउंट्स कमेटी विचार करेगा.
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