विपक्षी दलों ने दिल्ली में चुनाव की वकालत की, बजट को बताया अपर्याप्त

Last Updated 31 Jul 2014 04:27:33 PM IST

कांगेस सहित विपक्षी दलों ने दिल्ली में विधानसभा चुनाव कराये जाने पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा कि नई सरकार के बिना राजधानी में बिजली, पानी, शिक्षा जैसी बुनियादी समस्याओं को दूर नहीं किया जा सकता.


विपक्षी दलों ने की दिल्ली में चुनाव की वकालत (फाइल फोटो)

साथ ही विपक्ष ने दिल्ली की जरूरतों को देखते हुए राज्य के बजट में पर्याप्त आवंटन नहीं करने के लिए केंद्र की आलोचना की.
    
राज्यसभा में दिल्ली के बजट 2014-15 पर चर्चा की शुरूआत करते हुए सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि पिछले वर्ष दिल्ली में विधानसभा चुनावों से देश में परिवर्तन की लहर शुरू हुई थी लेकिन राजनैतिक दलों की अपरिपक्वता के कारण राष्ट्रीय राजधानी में राष्ट्रपति शासन लागू है.
   
उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में विधायकों की खरीद-फरोख्त की आशंकाएं प्रबल हो जाती हैं. उन्होंने केंद्र सरकार से कहा कि या तो नई सरकार बनाने की संभावनाएं तलाशी जाएं या विधानसभा भंग कर नये सिरे से चुनाव करवाये जाएं.
    
अग्रवाल ने सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाया कि वह भी चुनाव में जाने से डर रही है क्योंकि उसने लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान जो वायदे किये थे, सरकार में आने के दो महीने बाद उनकी सचाई जनता के सामने आ गई है.
    
दिल्ली की समस्याओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दिल्ली में एक ओर आबादी तो बढ़ रही है वहीं सुविधाएं उस गति से नहीं बढ़ रहीं हैं.

जमीन की कीमत बहुत अधिक होती जा रही है. उन्होंने कहा कि यदि पड़ोसी उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद और नोएडा तथा हरियाणा के फरीदाबाद और गुड़गांव जैसे क्षेत्र इस आबादी को अपने यहां रहने की जगह नहीं देते तो दिल्ली की स्थिति बहुत बिगड़ सकती थी.
    
अग्रवाल ने दिल्ली में बलात्कार की घटनाएं बढ़ने समेत कानून व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि सभी राजनीतिक दलों ने दिल्ली सरकार को पुलिस सहित कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी दिये जाने की मांग की है.

अग्रवाल ने दिल्ली में बिजली और पानी की किल्लत की ओर इशारा करते हुए कहा कि सांसदों तक के घर में पानी की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है और टैंकरों से पानी भिजवाया जा रहा है, ऐसे में आम आदमी की स्थिति की कल्पना की जा सकती है.

अक्टूबर से मिलने वाली बिजली सब्सिडी पर भी उठा सवाल

    
कांग्रेस के परवेज हाशमी ने कहा कि बजट में दिल्ली के आधारभूत ढांचे के सुधार के लिए पर्याप्त धन का आवंटन नहीं किया गया है.
    
उन्होंने कहा कि बजट में सरकार ने बिजली के मामले में जो सब्सिडी की घोषणा की है, वह अक्टूबर से लागू होगी. उन्होंने कहा कि यह प्रावधान अप्रैल से लागू होना चाहिए ताकि लोगों पर अनावश्यक छह माह का बोझ नहीं पड़े.
    
हाशमी ने कहा कि बजट में किसी नए बिजली संयंत्र के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है जबकि दिल्ली में बिजली की मांग लगातार बढ़ती जा रही है.
    
कांग्रेस नेता ने दिल्ली में चुनी हुई सरकार की पैरवी करते हुए कहा कि यदि ऐसी सरकार इस समय होती तो लोगों को अपनी बुनियादी समस्याओं के लिए भटकना नहीं पड़ता. क्योंकि अभी दिल्ली में राष्ट्रपति शासन है और आम आदमी उपराज्यपाल तक नहीं पहुंच सकता.
    
उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा था कि दिल्ली में स्कूलों में प्रतिवर्ष एक लाख बच्चों के दाखिले की जरूरत पड़ती है और इस जरूरत को पूरा करने के लिए हर साल 500 नये स्कूल खोले जाने चाहिए.

उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने यह तथ्य स्वीकार करने के बावजूद दिल्ली के बजट में मात्र 20 नये स्कूल खोलने का प्रावधान किया है.
    
दिल्ली में ई-रिक्शा पर प्रतिबंध लगाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आज आये फैसले का जिक्र करते हुए हाशमी ने कहा कि सरकार अदालत में अपना पक्ष रखकर इस मामले का हल निकाले.

भाजपा ने अन्य राज्यों में बड़े कॉलेज खोलने का रखा प्रस्ताव
    
भाजपा के विजय गोयल ने दिल्ली के बजट के लिए वित्त मंत्री जेटली को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने सभी क्षेत्रों का ध्यान रखा है. लेकिन पिछले 50-60 साल में दिल्ली में इतनी समस्याएं खड़ी हो गई हैं कि वित्त मंत्री के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी आ गई है.

गोयल ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिये जाने की मांग उठाते हुए कहा कि दिल्ली विकास प्राधिकरण, पुलिस, यातायात पुलिस की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार के अधीन होनी चाहिए और बड़े महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा केंद्र सरकार अपने पास रख सकती है.
   
उन्होंने कहा कि हर साल बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों से छह लाख लोग रोजी-रोटी के लिए दिल्ली में आते हैं जिसके लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में इस तरह की व्यवस्था होनी चाहिए कि दिल्ली पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़े.
   
उन्होंने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार और अन्य राज्यों से विद्यार्थी पढ़ने के लिए दिल्ली में आते हैं लेकिन अगर श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स, सेंट स्टीफन कॉलेज और हिंदू कॉलेज जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों की शाखाएं दूसरे राज्यों में भी खोल दी जाएं तो बच्चों को यहां नहीं आना पड़ेगा.

उन्होंने दिल्ली से ही 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्रों के लिए स्नातक में प्रवेश में कम से कम 4 प्रतिशत प्राथमिकता दिये जाने की मांग की.
   
गोयल ने कहा कि कांग्रेस ने अनधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोगों को प्रोवीजनल प्रमाणपत्र का ‘लालीपॉप’ दिया लेकिन कॉलोनियों का नियमन नहीं हो सका.

परंतु वित्त मंत्री जेटली ने कॉलोनियों को नियमित करने का प्रावधान रखा है. इसके लिए वित्त मंत्री को एक कमेटी बनानी चाहिए और अभी से काम शुरू कर देना चाहिए.
   
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने दिल्ली में झुग्गी झोंपड़ियों के लिए योजना बनाई लेकिन भ्रष्टाचार के कारण उस पर अमल नहीं हो सका.
   
गोयल ने दिल्ली में फिलहाल दो निजी बिजली वितरण कंपनियों का जिक्र करते हुए कहा कि कम से कम चार निजी कंपनियों को और लाना चाहिए ताकि कंपनियों का एकाधिकार कम हो और प्रतिस्पर्धा बढ़े जिससे आम जनता को लाभ होगा.



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