यूपीएससी परीक्षा : गांधीगिरी अपनाएंगे स्टूडेंट

Last Updated 28 Jul 2014 06:28:30 AM IST

नई दिल्ली में आगजनी, पथराव और प्रदर्शन का रास्ता अख्तियार करने के बाद अब यूपीएससी परीक्षा के छात्र गांधीगिरी का रास्ता अपनाएंगे.


सीसैट के विरोध में रविवार को जंतर-मंतर पर धरना देते एबीवीपी समर्थित स्टूडेंट.

आंदोलनकारियों का मानना है कि उन पर हिंसा का आरोप लग रहा है, लिहाजा अब वे अहिंसा के जरिए ही अपनी मांग रखेंगे. इसके लिए 30 जुलाई से शुरू होने वाले संसद सत्र के दौरान अपने हाथ और मुंह पर पट्टी बांधकर सभी छात्र संसद की ओर कूच करेंगे.

इस दौरान छात्र अपनी पीठ पर अपनी मांग लिखेंगे. उधर, रविवार को मुखर्जी नगर में दिनभर धरना जारी रहा और इलाहाबाद से भी छात्र धरने में शामिल हुए. छात्रों का आमरण अनशन भी जारी रहा.

वहीं एबीवीपी के वरिष्ठ नेता उमेश दत्त के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह व प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेन्द्र सिंह से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल में एबीवीपी के प्रदेश मंत्री साकेत बहुगुणा, दीपक पाठक व आनंद श्रीवास्तव शामिल थे.

साकेत ने बताया कि प्रतिनिधिमंडल ने यूपीएससी आंदोलनकारियों के मसले को खुलकर सरकार के सामने रखा. साथ ही सीसैट को हटाने की मांग की. साथ ही आगामी प्रारंभिक परीक्षा एक महीना लेट किए जाने की मांग की, जिससे विद्यार्थियों को राहत मिल सके.

साकेत ने कहा कि जब तक आंदोलनकारियों की मांग पूरी नहीं हो जाती है, तब तक विरोध जारी रहेगा. राजनाथ सिंह ने आासन दिया कि जल्द छात्र हित में फैसला लिया जाएगा. दूसरी ओर आंदोलनकारी दलों में विभाजन को भी खत्म कर लिया गया है.

दरअसल दो छात्र दलों के बीच में विवाद की स्थिति तब उत्पन्न हुई जब सांसद मनोज तिवारी के लिखित आश्वासन के बाद अनशनकारी छात्रों ने अनशन समाप्त कर लिया. जबकि दूसरे दल का अनशन जारी रहा. 23 जुलाई से यह अनशन आमरण अनशन में तब्दील हो चुका है. इस अनशन में लोकपति त्रिपाठी, मुकेश राय, अजीत त्रिवेदी व उषापति शामिल हैं.

15 हजार एडमिट कार्ड जलाए
सीसैट हटाने को लेकर आंदोलन के बावजूद यूपीएससी द्वारा एडमिट कार्ड जारी किए जाने के विरोध में आंदोलनकारियों ने मुखर्जी नगर में करीब 15 हजार एडमिट कार्ड को जला डाला. विरोधी छात्रों का कहना है कि जब सीसैट के मुद्दे को लेकर सरकार फैसला कर रही है और आंदोलन जारी है ऐसे में एडमिट कार्ड नहीं निकालना चाहिए था. छात्र अधिकार मंच के प्रवक्ता राहुल ने कहा कि परीक्षा को कम से कम दो महीने के लिए टाल दिया जाना चाहिए. 

 

राकेश नाथ
एसएनबी


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