केजरीवाल ने शुरू किया साइलेंट कैंपेन

Last Updated 10 Jul 2014 05:54:59 AM IST

हर काम से आदमी कुछ न कुछ सबक लेता है. आंदोलन और धरना-प्रदर्शन से चर्चा में रहने वाले अरविन्द केजरीवाल ने अब पैतरा बदल दिया है.


दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)

बिजली और पानी के मुद्दे पर जहां कांग्रेस प्रदर्शन कर रही है वहीं केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर साइलेंट कैंपेन शुरू कर दिया है. तकरीबन 30 लाख लोगों के घरों में केजरीवाल का अपील-पत्र पहुंच चुका है. केजरीवाल दिल्लीवासियों की नब्ज टटोल रहे हैं. जिसे विधानसभा चुनाव में जोर-शोर से उठाया जाएगा.

मोहल्ला सभा के बहाने आप के विधायक अपने-अपने क्षेत्र के प्रत्येक वार्ड में सभा कर रहे हैं. तमाम क्षेत्रों में खुद अरविन्द केजरीवाल भी जा चुके हैं. हर दिन केजरीवाल की मीटिंग किसी न किसी विधानसभा क्षेत्र में हो रही है. यह दीगर बात है कि हजार-दो हजार की संख्या में लोग नहीं पहुंच रहे हैं, लेकिन पार्टी के वालंटियर और हमदर्दी रखने वाले आम आदमी जरूर पहुंच रहे हैं. इन लोगों से केजरीवाल सीधे संवाद कर रहे हैं. ये लोग केजरीवाल और पार्टी की कमियां भी गिना रहे हैं. जिसे केजरीवाल नोट कर रहे हैं.

अधिकतर लोगों की शिकायत है कि केजरीवाल को इस्तीफा नहीं देना चाहिए. इस गलती को केजरीवाल स्वीकार भी कर रहे हैं. बहरहाल केजरीवाल ने साइलेंट कैंपेन की रणनीति खुद बनाई है. बिना शोर-शराबा और मीडिया को जानकारी दिए केजरीवाल दिल्ली विधानसभा चुनाव फतह के मिशन पर निकल चुके हैं. इस दौरान केजरीवाल बूथ लेवल प्रबंधन को लेकर काफी सजग हैं. उन्होंने बूथ लेवल पदाधिकारियों की नियुक्ति भी शुरू कर दी है. कुल मिलाकर करीब 40 विधानसभा क्षेत्र में केजरीवाल की मीटिंग हो चुकी है.

पार्टी के मीडिया प्रभारी नागेन्द्र ने बताया कि गूगल हैंगआउट प्रोग्राम के जरिए एक सप्ताह के भीतर केजरीवाल दिल्ली के सभी 70 विधानसभा क्षेत्र के वालंटियर और विधायक व हारे हुए उम्मीदवार से संवाद स्थापित कर चुके हैं. इसी प्रकार गूगल हैंगआउट के जरिए एक बार देशभर के वालंटियरों से संपर्क कर चुके हैं और एक बार विदेश में बैठे पार्टी समर्थकों से भी संपर्क किया जा चुका है.

बिजली-पानी, भ्रष्टाचार, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर केजरीवाल की अपील-पत्र दिल्ली के करीब 30 लाख लोगों के घरों में पहुंच चुका है. मार्मिक और भावुक अपील के जरिए केजरीवाल लोगों के दिल को छूने की कोशिश में जुटे हैं. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने और लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी से वालंटियर भी छिटक गए हैं. वालंटियरों के बूते ही आंदोलन खड़ा किया जा सकता है. इस बात को बखूबी समझते हुए केजरीवाल ने बीच का रास्ता अख्तियार कर लिया है.

अब निगम के भ्रष्टाचार उजागर करेगी आप

दिल्ली विधानसभा चुनाव में फतह हासिल करने के लिए आप अब आक्रामक तेवर में है. चूंकि दिल्ली में किसी पार्टी की सरकार नहीं है, इसलिए आप ने भाजपा शासित तीनों नगर निगम को लक्ष्य कर रणनीति बनानी शुरू की है. निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए आप नगर निगम निगरानी कमेटी गठित करने की तैयारी में है.

आम आदमी पार्टी ने नए सिरे से रणनीति बनानी शुरू कर दी है. बिजली के मुद्दे पर आंदोलन की तैयारी में जुटे पार्टी नेताओं को बिजली बिल में बढ़ोतरी होने का इंतजार है. पार्टी के रणनीतिकारों ने सीधे जनहित के मसले पर लोगों को गोलबंद करने के लिए नगर निगम को निशाना बनाने के लिए सोच लिया है.

बहरहाल तीनों नगर निगम में एक-एक पार्षद आप के हैं. ये पार्षद आप के टिकट पर चुनाव जीतकर भले ही नहीं आए लेकिन चुनाव जीतने के बाद आप की सदस्यता ग्रहण कर ली. दक्षिणी दिल्ली नगर निगम में सहीराम और देशराज राघव आप के पार्षद हैं, जबकि उत्तरी दिल्ली नगर निगम में राकेश कुमार व पूर्वी दिल्ली निगम में प्रीति ने आप की सदस्यता ग्रहण कर ली है.

इन पार्षदों के बूते आप निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार को बतौर सबूत जुटाने की तैयारी में है. पार्षदों और कुछ वरिष्ठ नेताओं को मिलाकर नगर निगम निगरानी कमेटी का गठन किया जाना है. इस कमेटी में शामिल लोग सूचना का अधिकार के तहत सफाई व्यवस्था, मानसून की तैयारी, अवैध निर्माण, हाउस टैक्स, पार्किग, पार्क, टोल टैक्स, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे मुद्दों को छानबीन कर असलियत उजागर करेंगे.

रविशंकर तिवारी
एसएनबी


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