120 रुपए में कॉलेस्ट्राल जांच, बायोगैस से चलेगी कार
कॉलेस्ट्रॉल टेस्ट अब मात्र बर्गर की कीमत पर हो सकेगा. प्यूरीफाई बायोगैस से सीएनजी आधारित कारें चलाई जा सकेंगी.
बायोगैस से चलेगी कार |
इसके अलावा ऐसा वाटरलेस यूरीन सिस्टम तैयार किया गया है, जिससे लाखों लीटर पानी की बचत होगी. इतना ही नहीं एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया गया, जिससे तमाम सरकारी योजनाओं की संपूर्ण जानकारी टीवी व डीवीडी के माध्यम से मिल सकेगी.
इसके अलावा एक स्ट्रिप से कई बार हीमोग्लोबिन की जांच की जा सकेगी. ये नए-नए आविष्कार भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), दिल्ली के विभिन्न विभागों की फैकल्टी टीम ने किए हैं. इन प्रयोगों का प्रदर्शन जल्द ही आईआईटी कैंपस में किया जाएगा.
मार्केट में 5 हजार में होती है
जांच : आईआईटी, दिल्ली के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग की फैकल्टी टीम ने एक ऐसी कॉलेस्ट्रॉल एनालिसिस प्रोटोकॉल किट तैयार की है, जिससे मात्र 120 रुपए खर्च में कॉलेस्ट्रॉल की जांच की जा सकेगी. अभी मार्केट में कॉलेस्ट्रॉल की जांच करीब 5 हजार रुपए में होती है. इस किट को विभाग के प्रोफेसर अनुराग एस राठौर व पीएचडी स्टूडेंट मिली पाठक ने मिलकर तैयार किया है. मिली ने बताया कि इस किट का कॉमर्शियलाइजेशन किया जाएगा. किट एक साल की कड़ी मेहनत के बाद तैयार की गई है. किसी व्यक्ति का दो बूंद खून लेकर इस किट के माध्यम से कॉलेस्ट्रॉल की जांच कर ली जाती है. यह किट पैथलैब्स व अस्पतालों में काम आएगी.
बॉयोगैस से चलेंगी सीएनजी कारें
आईआईटी, दिल्ली के सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर वीरेन्द्र कुमार विजय ने बायोगैस को प्यूरीफाई करने का सिस्टम तैयार किया है. इसका नाम बायोगैस टेक्नोलॉजी फॉर ग्रीन व्हीकुलर फ्यूल है. प्रो. विजय के मुताबिक, गोबर से बनने वाले बायोगैस में 60 फीसद मिथेन और 40 फीसद कॉर्बनडाईऑक्साइड होता है. इन्हें प्यूरीफाई करने के बाद 95 फीसद तक मिथेन बन जाता है. सीएनजी में भी मिथेन ही होता है.
उन्होंने बताया कि आईआईटी में इस सिस्टम को लगाकर प्यूरीफाई बॉयोगैस को एक वैगनआर कार में भरा गया था और अब यह कार कई महीनों से चलाई जा रही है. अभी सीएनजी करीब 35 रुपए किलो है जबकि प्यूरीफाई बायोगैस मात्र 25 से 30 रुपए में बन सकेगी. प्रो. विजय ने बताया कि हालांकि इस तरह के बायोगैस का बड़ा प्लांट लगाने के लिए कम से कम एक हजार गायों का गोबर चाहिए होगा.
वॉटरलेस यूरिनल्स टेक्नोलॉजी जीरोडर
सेंटर फॉर रूरल डेवलपमेंट एंड टेक्नोलॉजी के फैकल्टी विजयराघवन एम चैरियर व पूर्व छात्र उत्तम बनर्जी ने वॉटरलेस यूरिनल्स टेक्नोलॉजी जीरोडर तैयार किया है. इसमें यूरिन करने के बाद फ्लश करने की जरूरत नहीं होती है. इससे करीब 1 लाख 51 हजार लीटर प्रतिवर्ष पानी की बचत होगी. यह तकनीक मूत्र के दुर्गंध को खत्म कर देती है. मौजूदा समय में जिस तकनीक का प्रयोग यूरिनल में होता है, उसको मैम्ब्रेन ट्रैप या सीलेंट लिक्विड ट्रैप कहते हैं.
मैम्ब्रेन ट्रैप करीब 5600 रुपए में लगता है जबकि सीलेंट लिक्विड ट्रैप की कीमत 15 से 25 हजार रुपए है. वहीं, जीरोडोर वॉटरलेस ट्रैप की कीमत बेहद कम होगी. इस तकनीक के जरिए एक मूत्रालय 2 से ढाई हजार रुपए में बनाया जा सकेगा. प्रोफेसर चैरियर के मुताबिक, यह तकनीक ईजाद करने में तीन से चार साल का समय लगा. इसके व्यापारीकरण के लिए एकम ईको सॉल्यूशन कंपनी बनाई गई है, जो इस तकनीक को देश-विदेश में मुहैया कराएगी.
गरीबों को मिलेगी सरकारी योजनाओं की जानकारी
आईआईटी, दिल्ली के फैकल्टी आदितेर सेठ व स्टूडेंट दीपांजन चक्रवर्ती ने एक ऐसा डीवीडी तैयार किया है, जिसमें गरीबों के लिए तमाम सरकारी योजनाओं की जानकारी होगी.
इस तकनीक को ईजाद करने वाले फैकल्टी व स्टूडेंट आईआईटी के अमरनाथ एंड शशि खोसला स्कूल ऑफ इन्फॉम्रेशन टेक्नोलॉजी से हैं.
दीपांजन चक्रवर्ती ने बताया कि फिलहाल डीवीडी के माध्यम से झारखंड में लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी जा रही है. उन्हें बताया जा रहा है कि गरीबों के लिए कौन-कौन सी कल्याणकारी योजनाएं हैं और इनका लाभ कैसे लिया जा सकता है. एक इंटरेक्टिव रिस्पांस सिस्टम भी तैयार किया गया है.
इस सिस्टम के जरिए नरेगा की वेबसाइट पर किसी की शिकायत आने पर उस शिकायतकर्ता द्वारा दिए गए फोन नंबर पर कॉल जाती है और उसी शिकायत को सही जगह तक पहुंचाया जाता है, ताकि जल्द समाधान हो सके. यह सुविधा छत्तीसगढ़ व आंध्रप्रदेश में लागू की गई है.
इसी प्रकार, हरियाणा रेडियो स्टेशन के माध्यम से एक नंबर जारी किया जाता है, जिस पर मिस्ड कॉल करने पर कॉलबैक किया जाता है और व्यक्ति की समस्या सुनकर उसे समाधान बताया जाता है.
ट्रू एचबी हीमोमीटर से होगी हीमोग्लोबिन की जांच
सेंटर फॉर बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग विभाग की प्रोफेसर वीना कौल व स्टूडेंट अंबर श्रीवास्तव ने हीमोग्लोबिन की जांच के लिए ट्रू एचबी हीमोमीटर नामक एक नई तकनीक ईजाद की है.
हीमोमीटर से खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा जांची जा सकेगी. प्रो. कौल ने बताया कि विदेश में ही इस तरह के टेस्ट किट उपलब्ध हैं, लेकिन उनकी कीमत करीब 25 हजार रुपये तक है. भारत में काफी कम कीमत पर इसे उपलब्ध कराया जाएगा. हालांकि कीमत अभी तय नहीं की गई है. तीन साल के परिश्रम के बाद इस उपकरण को तैयार किया गया है.
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