कैंपाकोला सोसायटी के फ्लैट मालिक राहत के लिये फिर पहुंचे उच्चतम न्यायालय

Last Updated 17 Dec 2013 05:30:33 PM IST

मुंबई की कैंपाकोला सोसायटी के अनधिकृत फ्लैटों के मालिकों ने मकान खाली करने से संरक्षण के लिये नये सिरे से उच्चतम न्यायालय से राहत पाने का प्रयास किया है.


कैंपाकोला सोसायटी:फ्लैट मालिक पहुंचे सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

इन फ्लैट मालिकों का दावा है कि सूचना के अधिकार कानून के तहत मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि इन फ्लैटों को नियमित करने का प्रस्ताव है.

न्यायमूर्ति एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति सी नागप्पन की खंडपीठ के समक्ष अनधिकृत फ्लैट के मालिकों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा, ‘‘सूचना के अधिकार कानून के तहत आवेदन किया गया था और इससे मिले दस्तावेजों से पता चलता है कि इन्हें नियमित करने के लिये लाखों रूपए का भुगतान किया गया है.’’

उन्होंने कहा कि नगर निगम ने इन फ्लैटों को नियमित करने के मसले के बारे में न्यायालय को सूचित ही नहीं किया.

रोहतगी ने कहा कि इन नये दस्तावेजों की रौशनी में शीर्ष अदालत को अपने पहले के वे आदेश वापस लेने चाहिए जिनकी वजह से अनधिकृत फ्लैट के मालिकों को 31 मई, 2014 तक परिसर खाली करने का निर्देश दिया गया है.

न्यायाधीशों ने न्यायालय के आदेश वापस लेने के अनुरोध पर विचार करने में असमर्थता व्यक्त की और कहा कि सोसायटी को इस फैसले और निर्देशों पर पुनर्विचार याचिका दायर करने की संभावना तलाशनी चाहिए.

न्यायाधीशों ने इस मामले को 6 जनवरी के लिये सूचीबद्ध करते हुये कहा,‘‘आप पुनर्विचार याचिका दायर कीजिये और खुले न्यायालय में सुनवाई का अनुरोध कीजिये.’’

इससे पहले, सुनवाई शुरू होते ही रोहतगी ने न्यायाधीशों को याद दिलाया कि 19 नवंबर के अंतिम आदेश से पहले अटार्नी जनरल गुलाम वाहनवती ने परिसर के निवासियों की परेशानी के समाधान के बारे में कहा था लेकिन बाद में इसमें असमर्थता व्यक्त की थी. लेकिन इसी बीच सूचना के अधिकार कानून के तहत आवेदन दाखिल किया गया था.

शीर्ष अदालत ने 19 नवंबर को कैंपाकोला सोसायटी परिसर के सभी अनधिकृत फ्लैटों के मालिकों को 31 मई, 2014 तक परिसर खाली करने का निर्देश दिया था क्योंकि परिसर में नये निर्माण के लिये उचित स्थान उपलब्ध कराने के बारे में किसी प्रस्ताव पर सहमति नहीं हो सकी थी.

शीर्ष अदालत ने अटार्नी जनरल के कथन के बाद यह आदेश दिया था. अटार्नी जनरल ने कहा था कि सभी पहलुओं पर विचार के लिये हम किसी स्पष्ट प्रस्ताव पर नहीं पहुंच सके हैं.

इससे पहले, 13 नवंबर को न्यायालय ने मीडिया की खबरों का संज्ञान लेते हुये इस परिसर के अनधिकृत फ्लैट गिराने की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी.

शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को बृहन्न मुंबई नगर निगम को निर्देश दिया था कि इस परिसर में गैरकानूनी तरीके से निर्मित फ्लैट गिराये जायें. न्यायालय ने एक अक्तूबर को अपने आदेश पर फिर से विचार करने से भी इंकार करते हुये 11 नवंबर तक गैरकानूनी घोषित किये गये 102 फ्लैट खाली करने का निर्देश दिया था.


 



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