कांग्रेस की फिक्र, ज्यादा सीटों पर न दिखे प्रज्ञा का असर
कांग्रेस इसका अनुमान लगा रही है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के भोपाल से भाजपा उम्मीदवार बनने के बाद राज्य की कितनी सीटों पर ध्रुवीकरण का खतरा रहेगा।
भोपाल में शनिवार को पत्नी अमृता सिंह के साथ शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती से आशीर्वाद लेते कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्वजय सिंह। |
कांग्रेस पहले अधिकतम 4 सीटों (भोपाल और उससे लगने वाली तीन सीट) पर प्रज्ञा का असर होने का अनुमान लगा रही थी, पर जब उसे पता चला कि भाजपा राज्य की अधिकतम सीटों पर उसे भुनाने की फिराक में है तो कांग्रेस भी सचेत हो गई।
दरअसल, भाजपा राज्य की हर सीट पर प्रज्ञा को हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का प्रतीक बताकर अपना प्रचार कर रही है। वरिष्ठ नेता व कांग्रेस उम्मीदवार दिग्विजय सिंह ने इस खतरे को जल्दी भांप लिया है और उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ को समझाया है कि संघ परिवार और भाजपा के एजेंडे को गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है।
प्रज्ञा चंबल क्षेत्र के भिंड जिले में लहार की रहने वाली है, इसलिए ग्वालियर-चंबल की चारों सीटों पर भी भाजपा उसका इस्तेमाल करना चाहती है। मुरैना में भाजपा उम्मीदवार और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहज भाव से पार्टी की बैठक में कहते हैं कि प्रज्ञा की उम्मीदवारी से पूरे प्रदेश में पार्टी को फायदा होगा। वह कहते हैं कि प्रज्ञा राष्ट्रवाद और हिंदुत्व का बड़ा चेहरा हैं और अब चुनाव में ये ही मुद्दा हावी रहेगा। बुंदेलखंड और मालवा की सीटों पर भी भाजपा प्रज्ञा को घुमाने पर विचार कर रही है।
इन परिस्थितियों के मद्देनजर वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह अपने को धार्मिंक दिखाने का कोई अवसर हाथ से नहीं जाने दे रहे हैं। कभी वह प्रचार के बीच गऊशाला जाकर गायों को चारा खिलाते हैं तो कभी मंदिरों में माथा टेकते हैं। शनिवार को नामांकन से पहले उन्होंने शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती से जाकर आशीर्वाद लिया। प्रज्ञा के बारे में दिग्विजय सिंह को जो बोलना था, वो सब शंकराचार्य ने बोल दिया। शंकराचार्य ने प्रज्ञा के साध्वी होने पर भी सवाल उठाए और कहा कि साधु-साध्वी अपने नाम के आगे ठाकुर उपनाम नहीं लगाते, जैसे प्रज्ञा ठाकुर लगाती हैं। वह अपने शिष्य दिग्विजय सिंह के लिए दूसरे संत-महात्मा और भक्तों को भी लगाए हुए हैं।
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