दुनिया में नदियों के संरक्षण से ही बच सकती है संस्कृति: चौहान

Last Updated 03 Feb 2017 10:18:14 PM IST

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लंदन की टेम्स नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये वहां के नागरिकों के आगे आने की मिसाल देते हुए पूरी दुनिया के लोगों से आह्वान किया कि वे नदियों को बचाने के लिये आगे आयें.


मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)

चौहान ने शुक्रवार को नर्मदा जयंती के मौके पर अपने ब्लॉग में कहा, \'\'लंदन की टेम्स नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिये वहाँ के नागरिक आगे आये और उन्होंने उसे दुनिया की सबसे स्वच्छ नदी बना दिया. नर्मदा नदी भारत की सबसे कम प्रदूषित नदी है, इसे हम अब और प्रदूषित नहीं होने देंगे. इसे हम निर्मल बनाकर ही दम लेंगे. इसी तरह से पूरी दुनिया में सभी लोगों को नदियों को बचाने के लिये आगे आना चाहिये.\'\'

मुख्यमंत्री ने कहा, \'\'मैं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को पत्र लिखकर यह अनुरोध करूँगा कि वह पूरी दुनिया में संयुक्त राष्ट्र की अगुवाई में नदियों को संरक्षित और प्रदूषणमुक्त रखने के लिये लोगों को जागरूक करने का अभियान चलायें.\'\'

नर्मदा जयंती के अवसर पर पवित्र नदी के सम्मान में मध्यप्रदेश सरकार की मंत्रिपरिषद की बैठक आज नर्मदा नदी पर बने बांध के बैक वॉटर में बने नवविकसित जलपर्यटन स्थल हनुवंतिया टापू पर हुयी. बैठक से पहले मुख्यमंत्री सहित मंत्रिमंडल के सदस्यों द्वारा माँ नर्मदा की पूजा-अर्चना एवं आरती भी की गयी. उन्होंने कहा कि विश्व की सभी प्राचीन सभ्यताएँ नदियों के तट पर ही विकसित हुई हैं. नर्मदा घाटी भी इसका अपवाद नहीं है.

उन्होंने कहा कि नर्मदा का आसपास की धरती को समृद्घ बनाने में बहुत योगदान रहा है. नर्मदा नदी को मध्यप्रदेश की जीवन-रेखा कहा जाता है. नर्मदा नदी भारत की सात प्रमुख नदियों में से एक है.

चौहान ने मध्यप्रदेश में चल रही \'नमामि देवि नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा\' का जिक्र  करते हुए कहा कि यह अभियान इतिहास की उसी परम्परा का पुनर्जीवन है, जो प्रदेश के नागरिकों को माँ नर्मदा के ऐतिहासिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और आर्थिक पहलुओं से परिचित करायेगी. इस यात्रा का उद्देश्य नर्मदा और विश्व की सभी नदियों को प्रदूषण मुक्त रखने के संदेश और नर्मदा तपोभूमि के सामाजिक समरसता के विचार को पूरे प्रदेश, देश और समूची दुनिया में पहुँचाना है. उन्होंने कहा कि हनुवंतिया जैसा अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल भी यहाँ विकसित हो पाया है. यह भी प्रदेश को एक नई पहचान देगा.



मुख्यमंत्री ने कहा, \'\'माँ नर्मदा की कृपा से ही मध्यप्रदेश विकास की ओर अग्रसर है. मैया की कृपा से ही सूखे कंठों और खेतों को पानी मिल रहा है. नर्मदा 4 करोड़ से अधिक लोगों को पीने के लिये पानी और 17 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की व्यवस्था करती है. माँ की कृपा से ही हमारे अन्न के भण्डार भरे हैं और बिजली मिलने से घरों का अंधेरा दूर हुआ है. मां नर्मदा की कृपा से 2400 मेगावाट बिजली उत्पन्न होती है तथा प्रदेश को चार बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त हुआ है.\'\'

उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, \'\'आज \'नमामि देवि नर्मदे-नर्मदा सेवा यात्रा\' अभियान एक जन आंदोलन बन गया है. सभी लोग बड़े उत्साह और उमंग के साथ दुनिया के सबसे बड़े नदी संरक्षण अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. आध्यात्मिक गुरु और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा जी, हमारे देश के महान अभिनेता अमिताभ बच्चन जी, स्वर कोकिला लता मंगेशकर जी, नोबल शांति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी जी, ईस्ट तिमोर के नोबल शांति पुरस्कार विजेता जोस रामोस होर्ता और ट्यूनीथिया की नोबल शांति पुरस्कार विजेता बाहडेड बाउन्चेमोई जैसी हस्तियों का हमें समर्थन प्राप्त हुआ है. इससे हमारा मनोबल बढ़ा है.\'\'

 नर्मदा नदी संरक्षण की दिशा में उठाये गये कदमों की जानकारी देने हुए मुख्यमंत्री चौहान ने कहा, \'\'हमने फैसला लिया है कि 15 शहरों के दूषित जल को नर्मदा में नहीं मिलने देंगे. इसके लिये हम 1500 करोड़ रुपये की राशि से सीवरेज ट्रीटमेंट प्लान्ट लगा रहे हैं. नर्मदा नदी के तट के सभी गाँवों और शहरों को खुले में शौच से मुक्त किया जायेगा. नर्मदा नदी के दोनों ओर बहने वाले 766 नालों के पानी को नर्मदा में जाने से रोकने के सुनियोजित प्रयास किये जायेंगे. नदी के दोनों ओर हम सघन वृक्षारोपण करेंगे ताकि नर्मदा में जल की मात्रा बढ़ सके. नर्मदा के तट पर स्थित गाँवों और शहरों में 5 किलोमीटर की दूरी तक शराब की दुकानें नहीं होगी. सभी घाटों पर शवदाह गृह, स्नानागार और पूजा सामग्री विसर्जन कुण्ड बनाये जायेंगे ताकि नर्मदा नदी को पूर्णत: प्रदूषण रहित रखा जा सके.\'\'

मालूम हो कि \'नमामि देवी नर्मदे-सेवा यात्रा\' पिछले साल 11 दिसंबर को नर्मदा के उद्गम स्थान अमरकंटक से शुरू हुई. पांच महीने तक चलने वाली यह यात्रा 11 मई को खत्म होगी. इस दौरान यह यात्रा नर्मदा के दोनों तटों पर 3344 किलोमीटर कवर करेगी, जिसमें लगभग आधी दूरी पैदल मार्च भी शामिल है.

भाषा


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