नोटबंदी का असर : पंडितों को चेक से दक्षिणा दे रहे हैं यजमान

Last Updated 06 Dec 2016 08:25:02 PM IST

सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोट बंद करने के करीब एक महीने बाद भी यहां नकदी का संकट खत्म नहीं हो सका है.


(फाइल फोेटो)

हालत यह है कि यजमानों ने पंडितों को चेक से दक्षिणा का भुगतान शुरू कर दिया है, जबकि हिंदुओं के धार्मिक कर्मकांड संपन्न कराने वाले पुरोहितों को दक्षिणा के रूप में पारंपरिक रूप से नकद राशि ही दी जाती है. 

प्रदेश के लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (पीएचई) विभाग की नर्मदा परियोजना में लाइनमैन के रूप में कार्यरत बालकृष्ण शर्मा ने मंगलवार को बताया, ‘मेरी बेटी की शादी में पूजा कराने वाले पंडित को मुझे दक्षिणा के रूप में 1100 रुपये का चेक देना पड़ा, क्योंकि मेरे पास जो थोड़ी बहुत नकदी थी वह विवाह समारोह के खचरें में खत्म हो गयी.’ 
 
उन्होंने बताया कि स्कीम नम्बर 140 क्षेत्र की एक बैंक शाखा में उनका खाता है जिसमें हर महीने उनकी पगार भी जमा होती है. पिछले कुछ दिनों में बैंक के चार-पांच चक्कर लगाने के बाद भी उन्हें अपनी बेटी की शादी के खर्चे के लिये पर्याप्त नकदी नहीं मिल सकी. 
    
शर्मा ने कहा, ‘मेरे खाते में पैसा होने के बावजूद मैं इससे नकदी नहीं निकाल पाया, क्योंकि बैंक में नोटों की भारी किल्लत है. नोटबंदी के बाद ग्राहकों की भीड़ इतनी है कि बैंक के अधिकारियों को बात करने की फुर्सत भी नहीं है.’
   
नोटबंदी के असर का एक दिलचस्प दृश्य शहर के मशहूर \'56 दुकान\' क्षेत्र में दिखायी पड़ता है, जहां खाने-पीने के शौकीनों की हमेशा भीड़ लगी रहती है. 56 दुकान क्षेत्र में ठेले पर गन्ने के रस की दुकान चलाने वाले प्रकाश कुशवाह ने बोर्ड लगा रखा है कि वह एक डिजिटल पेमेंट कम्पनी के मोबाइल वॉलेट से भुगतान स्वीकार करता है. इस चलित दुकान पर गन्ने के रस का एक गिलास दो मूल्य श्रेणियों-10 रुपये और 15रुपये में मिलता है.     

 

कुशवाह ने कहा, ‘56 दुकान क्षेत्र की खाने-पीने की दुकानों पर उमड़ने वाले ज्यादातर ग्राहक युवा होते हैं, जो नोटबंदी के कारण भुगतान के लिये इन दिनों मोबाइल वॉलेट का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं. इस कारण मुझे भी मोबाइल वॉलेट से भुगतान कबूल करना पड़ रहा है. आखिर हमें भी तो अपना परिवार पालना है.’ 

भाषा


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