मध्य प्रदेश में कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में बाघों का संरक्षण कर रही बैगा जनजाति
मध्य प्रदेश में वन्य जीवों और बाघों की रक्षा करने वाली बैगा जनजाति बाघों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
(फाइल फोटो) |
मध्य प्रदेश में वन्य जीवों और बाघों की रक्षा करने वाली बैगा जनजाति बाघों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.
बैगा जनजाति के सदस्य 1968 तक कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के अंदर के 28 गांवों में निवास कर रहे थे. 1968 के बाद उन्हें नयी जगहों पर बसा दिया गया. वे बाघों की सुरक्षा के उद्देश्य से स्थानांतरित हुये थे.
2014 में कान्हा बाघ अभ्यारण्य से बैगा जनजाति के सैकड़ों सदस्य चले गये थे. इस जनजाति के लोग कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के बाघों और अन्य जंगली जानवरों को सुरक्षा प्रदान करने में वन विभाग के अधिकारियों की मदद कर रहे हैं.
हालांकि, जनजाति के लोग हमेशा से जंगल की जीवनरेखा रहे हैं और वन विभाग के अधिकारी यहां बाघों और वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जनजातियों के अनुभव तथा कुशाग्रता पर लगातार निर्भर हैं.
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान के फील्ड निदेशक जे एस चौहान ने कहा, ‘आदिवासियों के सहयोग के बिना जंगल में बाघों का संरक्षण नहीं हो सकता क्योंकि उनका अनुभव और उनकी मदद से हम हमारे बाघों की रक्षा करने में सक्षम हैं.’
कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में जनजाती के दस अनुभवी सदस्य हैं जिन्हें ‘ट्रैकर्स’ के नाम से जाना जाता है और वे जंगल में जानवरों, विशेष रूप से बाघों का पता लगाने में वन विभाग के अधिकारियों की मदद करते हैं. चौहान के अनुसार जनजाति के लोग जानवरों को अच्छी तरह से समझते हैं.
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