बसंत पंचमी: कड़ी सुरक्षा के बीच भोजशाला के बाहर देवी सरस्वती की पूजा

Last Updated 12 Feb 2016 11:21:54 AM IST

मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला में शुक्रवार को बसंत पंचमी के मौके पर मां सरस्वती की अखंड पूजा करने की अनुमति नहीं मिलने के चलते हिन्दूवादी संगठनों ने भोजशाला के बाहर एक स्थान पर पूजन कार्यक्रम शुरू कर दिया.


(फाइल फोटो)

भोज उत्सव समिति और हिन्दू जागरण मंच द्वारा भोजशाला में दिनभर अखंड पूजा करने की मांग की थी, जबकि प्रशासन ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत सुबह सात बजे से लेकर 12 बजे तक पूजा, उसके बाद एक से तीन बजे तक नमाज और दोपहर साढ़े तीन बजे से सूर्यास्त तक फिर पूजा करने की व्यवस्था पर हामी भरी थी.

दोनों पक्षों के बीच इसे लेकर सहमति नहीं बन पाई. इसके बाद सुबह लगभग साढ़े नौ बजे से भोजशाला के बाहर मोतीबाग चौक स्थित मंदिर में पूजन कार्यक्रम प्रारंभ कर दिया गया. भोजशाला में पूजा के लिए पूजन सामग्री सुबह सात बजे पहुंचाई गयी थी.

इस बीच हिन्दूवादी संगठनों का आरोप है कि भोजशाला के अन्दर प्रशासन द्वारा डमी श्रद्धालुओं से पूजा करवाई जा रही है. वहीं प्रशासन ने भोजशाला के बाहर पूजा करने वालों लोगों से अपील की है कि जो भी श्रद्धालु पूजा करना चाहता है वह वहां शांतिपूर्ण ढंग से पूजन कार्यक्रम करें.

अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विपिन महेरी ने बताया कि बसंत पंचमी के मौके पर भोजशाला में शांतिपूर्ण ढंग से पूजा और नमाज करवाने के लिए प्रशासन द्वारा पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. भोजशाला के अंदर और बाहर 650 जवानों की तैनाती की गयी है. इसमें आरएएफ, विशेष सशस बल सहित तीन रेंज के पुलिस महानिरीक्षक, 16 आईपीएस अधिकारी, 22 अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक तैनात किए गए हैं.

भोजशाला परिसर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) विभाग के अधीन है और एक दशक से अधिक समय पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय यह मुद्दा काफी गर्माया था. इसके बाद से केंद्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुरूप मंगलवार को पूजन और शुक्रवार को नमाज पढ़ने की व्यवस्था की गयी है.

हर साल बसंत पंचमी पर यहां हिंदू संगठनों द्वारा सरस्वती देवी की पूजा की जाती है. ऐसे में बसंत पंचमी और शुक्रवार एक ही दिन होने की स्थिति में प्रशासन को कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं.

हिंदूवादी संगठन बसंत पंचमी के कारण भोजशाला परिसर में निर्विघ्न रूप से सरस्वती पूजन करना चाहते हैं तो कतिपय संगठन शुक्रवार को जुमे की नमाज भी पढ़ना चाहते हैं. इस स्थिति के मद्देनजर प्रशासनिक अधिकारी संबंधित प्रतिनिधियों से चर्चा कर रहे हैं और प्रशासन को उम्मीद है कि सब कुछ शांतिपूर्ण ढंग से निपट जाएगा.



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