भोजशाला मसला : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मांगा केंद्र और राज्य सरकार से जवाब
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने धार की भोजशाला में 12 फरवरी को बसंत पंचमी पर अलग-अलग अंतराल में पूजा और नमाज की अनुमति से जुड़े एएसआई के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र और राज्य सरकार को मंगलवार को नोटिस जारी किये.
(फाइल फोटो) |
इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति पीके जायसवाल और न्यायमूर्ति जेके जैन ने धार के निवासी अरुण सिंह ठाकुर (24) की याचिका पर नोटिस जारी करते हुए केंद्र और राज्य सरकार से हफ्ते भर में जवाब मांगा.
याचिकाकर्ता के वकील मनीष यादव ने बताया कि उनके मुवक्किल ने अदालत से गुहार की है कि भोजशाला मसले में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के 20 जनवरी को जारी आदेश को निरस्त किया जाये.
एएसआई के इस आदेश के मुताबिक हिन्दू समुदाय के लोग 12 फरवरी को बसंत पंचमी पर पूजा के लिये दो अंतरालों में- सूर्योदय से दोपहर 12 बजे तक और दोपहर 3:30 बजे से सूर्यास्त तक भोजशाला में प्रवेश कर सकेंगे, जबकि मुस्लिम समुदाय के लोगों को दोपहर एक से 3 बजे तक इस विवादास्पद स्मारक में नमाज के लिये दाखिल होने की अनुमति होगी.
यादव ने याचिका में लगाये गये आरोपों के हवाले से कहा, ‘एएसआई का यह आदेश पूरी तरह अवैध, मनमाना और दुर्भावनापूर्ण है. सरकारी रिकॉर्ड और पुरातन मान्यताओं के मुताबिक भोजशाला परिसर में हिंदुओं की पूजा और मुस्लिमों की नमाज के लिये अलग-अलग जगह तय है. लेकिन एएसआई ने इस परिसर में हिंदुओं के पूजास्थल पर मुस्लिमों को नमाज की इजाजत देकर सांप्रदायिक माहौल बिगाड़ दिया है. नतीजतन दोनों समुदायों के आम लोगों और प्रशासन को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.’
हिंदुओं का मानना है कि भोजशाला वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर है, जबकि मुस्लिम समुदाय इस एएसआई संरक्षित स्मारक को कमाल मौला की मस्जिद बताता है.
एएसआई की ओर से आमतौर पर जारी व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह नमाज अदा करने की इजाजत है. संयोग से इस बार बसंत पंचमी शुक्रवार (12 फरवरी) को पड़ रही है.
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