सौतेले बाप के बच्चे की मां बनने जा रही मासूम, मां ने छोडा, अस्पताल में कैद
अपने ही सौतेले बाप की हैवानियत का शिकार बनी 13 साल की मासूम सात महीने का गर्भ लेकर अस्पताल में कैद होकर रह गई है.
फाइल फोटो |
मध्यप्रदेश के जबलपुर में एक दिल दहला देने वाला वाकया सामने आया है. अपने ही सौतेले बाप की हैवानियत का शिकार बनी 13 साल की मासूम सात महीने का गर्भ लेकर अस्पताल में कैद होकर रह गई है.
बाप की करतूत का पता चलने के बाद मजदूर मां ने भी अपनी बच्ची को एक संस्था के हवाले सौंप कर उसे छोड दिया है. घटना का पता चलने के बाद जिला प्रशासन ने अस्पताल में मासूम की देखरेख के लिए एक आंगनवाडी सहायिका को तैनात कर दिया है, किसी को भी बच्ची से मिलने की इजाजत नहीं दी जा रही.
सूत्रों के मुताबिक मूल तौर पर पन्ना निवासी 13 साल की इस बच्ची से पिछले तीन साल से उसका सौतेला बाप दुष्कर्म कर रहा था. बच्ची का गर्भ पांच महीने का होने पर उसकी मां को पूरी घटना के बारे में पता चला. बेटी की हालत देखकर उसकी मां लगभग दो महीने पहले उसे पडोसी जिले कटनी की बाल कल्याण समिति के पास सौंप कर गायब हो गई.
समिति ने बच्ची को कटनी की एक अन्य संस्था लिटिल स्टार फाउंडेशन के पास सौंप दिया, जहां बच्ची लगभग डेढ महीने से रह रही थी, लेकिन संस्था को सरकारी कार्यपण्राली के कारण बच्ची को जबलपुर भेजना पड़ा.
उसके जबलपुर पहुंचने पर यहां की एक अन्य संस्था ने उसे रखने से इंकार कर दिया. इसके बाद जिला कलेक्टर के निर्देश पर बच्ची को बुधवार की शाम शासकीय एल्गिन अस्पताल में भर्ती किया गया है, जहां के प्रसव कक्ष में भर्ती इस बच्ची का अब रो-रो कर बुरा हाल है.
जिला प्रशासन ने बच्ची के साथ के लिए एक आंगनवाडी सहायिका को तैनात कर दिया है, लेकिन उससे किसी को भी मिलने नहीं दिया जा रहा. एक ओर कलेक्टर उसके स्वास्थ्य को देखते हुए उसे दो महीने अस्पताल में ही रखने की बात कह रहे हैं, वहीं अस्पताल प्रबंधन अस्पताल के माहौल में बच्ची की मानसिक स्थिति पर बुरा असर पडने का हवाला देकर उसे इतने समय तक अस्पताल में रखने से इंकार कर रहा है.
पूरे मामले में कलेक्टर शिवनारायण रूपला ने कहा कि बच्ची को उचित स्वास्थ्य सुविधा मिल सके, इसके लिए उसे अस्पताल में ही रखा जायेगा.
वहीं अस्पताल के पीआरओ डॉ संजय मिश्रा ने बताया कि बुधवार रात कलेक्टर के आदेश पर बच्ची को भर्ती कर लिया गया है. वह सात माह की गर्भवती है. बच्ची और उसका बच्चा दोनों कमजोर हैं.
अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली महिलाओं को देखकर बच्ची की मानसिकता पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. इसलिए हम उसे दो माह तक अस्पताल में भर्ती नहीं रख सकते हैं. उसे विशेष देखभाल की आवश्यता है. जिला कलेक्टर से उसके रहने की व्यवस्था करने का आग्रह किया गया है.
चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के अध्यक्ष डॉ टी फिलिप्स ने बताया कि एक-दो दिनों में बच्ची को रखने के बारे में फैसला ले लिया जायेगा.
बच्ची के आरोपी सौतेले बाप के खिलाफ लगभग डेढ महीने पहले कटनी पुलिस ने मामला दर्ज किया है, लेकिन वह फरार है.
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