मध्य प्रदेश के स्कूलों में लगाई जाएगी नक्षत्र वाटिका

Last Updated 24 Aug 2015 03:09:00 PM IST

विद्यार्थियों को ग्रह-नक्षत्र के साथ-साथ वृक्षों की जानकारी देने के लिये मध्य प्रदेश भर में स्कूलों के खुले मैदान में नक्षत्र-वाटिका स्थापित की जाएगी.


(फाइल फोटो)

जनसंपर्क विभाग के एक अधिकारी ने राज्य शासन ने स्कूल शिक्षा के संभागीय और जिला अधिकारियों को 30 अगस्त तक नक्षत्र-वाटिका संबंधी कार्य को पूरा कराने के निर्देश दिये हैं.

नक्षत्र-वाटिका के कार्य में वन, सामाजिक न्याय और कृषि विभाग के अधिकारियों से सहयोग लेने को कहा गया है.

उन्होंने कहा कि नक्षत्र-वाटिका के लिये स्थानीय कॉलेज के वनस्पति विभाग से मिट्टी, खाद और कीट-नाशक के बारे में भी मार्गदर्शन लेने के निर्देश दिये गये हैं. पौध-रोपण के बाद उनकी देखभाल ‘बाल केबिनेट’ करेगी.

जिला मुख्यालय के ऐसे विद्यालय, जहां प्राथमिक से हायर सेकेण्डरी स्तर तक की कक्षाएं और प्रांगण में खुला मैदान है, वहां नक्षत्र-वाटिका स्थापित होगी. नक्षत्र-वाटिका के लिये वर्षाकाल का समय इसलिये चुना गया है कि इस समय पौधे आसानी से लग जाते हैं.

अधिकारी ने कहा कि नक्षत्र-वाटिका के लिये खुला मैदान और बाउण्ड्री-वॉल वाले विद्यालयों का चयन किया जा रहा है. चयनित विद्यालयों की सूची वन और कृषि विभाग को भेजी जायेगी. लगाये गये पौधे की वृद्धि देखने और समय-समय पर पानी, खाद, मिट्टी की व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जायेगी. पौधों की सुरक्षा के लिये तार और ट्री-गार्ड भी लगाये जायेंगे. विकसित होने पर नक्षत्र के अनुसार पौधों के नाम अंकित किये जायेंगे.

जनसंपर्क विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस कार्य के लिए कक्षा 5 से 12वीं तक के बच्चों के छोटे-छोटे समूह तैयार किये जा रहे हैं. समूह एक-एक वृक्ष की निरंतर देखरेख कर उनके जीवन पर ‘प्रोजेक्ट’ तैयार करेंगे. नक्षत्र-वाटिका में लगाये गये पौधों के औषधीय गुणों की जानकारी बच्चों को दी जायेगी.

उन्होंने कहा कि नक्षत्र-वाटिका में नक्षत्र और ग्रह के अनुसार 27 प्रकार के पौधे लगाये जायेंगे. इनमें अश्विनी नक्षत्र का कुचला, भरणी-आंवला, कृत्तिका-उदुंबर या गूलर, रोहिणी-जामुन, मृगशिरा-खैर, आर्दा-कृष्णा गुरु, पुनर्वसु-बांस, पुष्य-पीपर, अश्लेषा-चंपा, मघा-बघ्वट, पूर्वा फाल्गुनी-पलाश, उत्तरा फाल्गुनी-कनेर, हस्त-चमेली, चित्रा-बेल, स्वाति-कान्हा या कोह, विशाखा-कैथ, अनुराधा-मौलसरी, ज्येष्ठा-शाल्मली या सेवर, मूल-साल अथवा सखुआ, पूर्वाषाघ-वैंत, उत्तराषाघ-कटहल, श्रवण-आंकघ, धनिष्ठा-समी या सफेद कीकर, शतभिषा-कदंब, पूर्वभाद्रपदा-आम, उत्तराभाद्रपदा-नीम और रेवती-महुआ शामिल हैं.

विद्यार्थियों को ‘प्रोजेक्ट वर्क’ के रूप में वाटिका पर ‘डाटा’ संग्रह का कार्य सौंपा जायेगा. इसमें उन्हें वृक्ष का नाम, लगाने की तिथि, एक माह में हुए परिवर्तन, फूल आने और लगने का समय, औषधीय वृक्ष का नाम, किस रोग में लाभकारी और किस रूप में उपयोग किया जा सकता है, जैसी जानकारियां एकत्रित करना होंगी.



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