एमपी में मॉनसून की झमाझम बारिश ने फूंकी ‘पीले सोने’ में नयी जान
देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्य प्रदेश में करीब 20 दिन के सूखे अंतराल के बाद मॉनसून की हालिया सक्रियता ने इस तिलहन फसल को नया जीवन दे दिया है.
(फाइल फोटो) |
बारिश के ताजा दौर के कारण सूबे में सोयाबीन का रकबा बढ़कर करीब 56 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सकता है.
केंद्र सरकार के इंदौर स्थित सोयाबीन अनुसंधान निदेशालय (डीएसआर) के निदेशक डॉ. वीएस भाटिया ने बताया, ‘मॉनसून की शुरूआती बौछारों के बाद बारिश की लम्बी बेरुखी से मध्य प्रदेश में सोयाबीन की फसल के बर्बाद होने का खतरा पैदा हो गया था. लेकिन पिछले चार दिन के दौरान सूबे में हुई झमाझम बारिश से यह खतरा टल गया है. बारिश ने सोयाबीन की फसल को संकट से निकालकर अच्छी स्थिति में पहुंचा दिया है.’
उन्होंने कहा, ‘ताजा आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा खरीफ सत्र के दौरान मध्य प्रदेश में करीब 55.5 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया जा चुका है. कुछ किसान सोयाबीन बुआई के लिये बारिश का इंतजार कर रहे थे. लिहाजा बारिश के हालिया दौर के बाद राज्य में इस तिलहन फसल का रकबा बढ़कर 56 लाख हेक्टेयर तक पहुंच सकता है.’
सोयाबीन की खेती पर निगाह रखने वाले संगठन सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के एक अधिकारी ने ताजा स्थिति के हवाले से बताया कि देश में खरीफ के मौजूदा सत्र के दौरान 100 लाख हेक्टेयर से ज्यादा रकबे में सोयाबीन बोया जा चुका है. इस सत्र में सोयाबीन का रकबा 110 लाख हेक्टेयर के आसपास रह सकता है. यानी इस बार सोयाबीन के राष्ट्रीय रकबे में मध्य प्रदेश की भागीदारी लगभग 50 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
सोपा के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2014 के खरीफ सत्र में देश में करीब 109 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन बोया गया और इस तिलहन फसल की पैदावार तकरीबन 100 लाख टन रही थी.
देश में खरीफ सत्र की बुआई का आगाज दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की शुरूआत के साथ होता है.
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