न्यायालय ने पूछा, स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए क्या किया
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार से स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए किए गए प्रयासों के बारे में जानकारी मांगी है.
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय (फाइल फोटो) |
अदालत में बीमारी के बढ़ते प्रकोप और उसकी रोकथाम के लिए सरकार द्वारा आवश्यक कार्रवाई नहीं किये जाने को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की गई थी.
याचिका की शुक्रवार को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अजय मानिकराव खानविलकर और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की युगलपीठ ने स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए की गई कार्रवाई के संबंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव से हलफनामे में जवाब मांगा है. युगलपीठ ने आगे की योजना के संबंध में जानकारी भी मांगी है. याचिका पर अगली सुनवाई पांच मार्च को निर्धारित की गयी है.
एडवोकेट्स सोशल वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सत्येन्द्र पांडे की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया है कि इस बीमारी से पीड़ित मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है. बीमारी के कारण प्रदेश भर में कई लोगों की मौत हो गयी है. स्वाइन फ्लू के बढ़ते प्रकोप के बावजूद भी उसके रोकथाम के लिए कोई कारगर पहल नहीं की गयी है.
याचिका में मांग की गयी थी कि आवारा सूअरों को शहर से बाहर किया जाए और शहर के अंदर सूअर पालन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाये. सार्वजनिक और खुले क्षेत्रों में मांस बिक्री प्रतिबंधित की जाये.
याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने ये निर्देश जारी किये. याचिककर्ता ने सुनवाई के दौरान अपना पक्ष स्वयं रखा.
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