सांई की मूर्ति स्थापित करें लेकिन मंदिर का नाम न दें: शंकराचार्य
द्वारका शारदा पीठ और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने सांई बाबा को मनाने वाले लोगों से कहा है कि वे चाहे तो सांई की मूर्ति स्थापित करें लेकिन उन्हें देवी देवता के रूप में प्रस्तुत कर उनका नाम मंदिर नहीं दें.
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (फाइल फोटो) |
शंकराचार्य ने बुधवार को मध्य प्रदेश के छिंदवाडा में दशहरा मैदान में आयोजित एक धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे. उन्होने कहा कि सांई को लेकिर कवर्धा में हुई धर्मसभा के बाद अभी प्रयाग में सभा हुई थी और अब 29 जनवरी को बैतूल में धर्मसभा आयोजित की गई है. इस सभा में सांई बाबा संस्थान के लोगों को भी आमंत्रित किया गया है ताकि हिन्दुओं को विभाजित होने से रोका जा सके.
उन्होंने दोहराया कि देवी देवताओं के मंदिर बनाये जाते हैं किसी संत की मृत्यु के उपरांत उसकी मूर्ति तो श्रद्धालु स्थापित कर सकते हैं लेकिन मंदिर बना कर उसे भगवान का रूप देना सनातन धर्म में वर्जित है.
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में आद्य शंकराचार्य ने हिन्दू को धर्म से संबंधित मार्गदर्शन देने के लिये शंकराचार्य नामक संस्था स्थापित की थी और वहीं हिन्दुओं की प्रेरणा का केन्द्र है.
शंकराचार्य ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के कुछ नेताओं की इस बात से असहमति जतायी कि हिन्दू दस-दस बच्चे पैदा करें. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ संस्थाओं द्वारा घर वापसी के कार्यक्रम आयोजित कर उसमें हवन कराये जाते हैं लेकिन इससे किसी का भी नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि जो लोग दूसरे धर्म में चले गये हैं अगर वे वापस अपने मूल धर्म में आना चाहते हैं तो उनको प्रायश्चित करना चाहिये.
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