यौन शोषण के आरोपी जज को प्रशासनिक जिम्मेदारी से वंचित किया जाए: सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 18 Dec 2014 01:09:09 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के यौन शोषण के आरोपी जज को सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक और निरीक्षणात्मक भूमिकाएं निभाने से वंचित कर दिया है.


सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

सुप्रीम कोर्ट ने ग्वालियर की एक महिला जज के खिलाफ यौन उत्पीड़न मामले की जांच के लिए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट द्वारा गठित दो सदस्यीय समिति भी गुरुवार को भंग कर दी.

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से कहा है कि वह अपने उस सहयोगी को सभी प्रशासनिक और निरीक्षणात्मक दायित्व से वंचित करें जिन पर एक पूर्व महिला अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश के कथित यौन उत्पीड़न का आरोप है.

न्यायमूर्ति जे एस केहर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जांच समिति को भंग करने का आदेश देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने इस मामले में अपने अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन किया है.

कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामलों की जांच के लिए समिति गठित करने का अधिकार केवल और केवल सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को ही है. इसलिए नयी समिति का गठन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश करेंगे.

इस बीच कोर्ट ने यौन उत्पीड़न मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आरोपी न्यायाधीश को सभी प्रशासनिक और सुपरवाइजरी कार्यों से हटाने के आदेश भी दिये.

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की एक महिला जज ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को चिट्ठी लिखकर हाईकोर्ट के एक जज पर कई सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. यौन शोषण आरोप लगाने के बाद महिला जज ने पद से इस्तीफा दे दिया था.




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