उज्जैन में आज भी होती है देवी की प्राचीन विधि से पूजा अर्चना
न्यायप्रिय राजा सम्राट विक्रमादित्य के जमाने से शारदीय नवरात्र में होने वाली शक्ति आराधना की परंपरा मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में आज भी कायम है.
हरसिद्धि माता (फाइल फोटो) |
नवरात्र के दौरान विक्रमादित्य की आराध्य देवी और शक्ति पीठ हरसिद्धि माता और महाकवि कालिदास की आराध्य गढकालिका मंदिर में परंपरागत तरीके से आज भी पूजा अर्चना की जाती है.
राजा विक्रमादित्य के शासनकाल में प्रजा की सुख शांति के लिए महाअष्टमी पर शहर और इसके आसपास 27 किलोमीटर लम्बी शराब की धार से तीन दर्जन से अधिक देवी और भैरव मंदिरों में शासकीय पूजा की जाती थी. आज भी यह परंपरा बदस्तूर जारी है. इसके लिये बकायदा शासकीय बजट भी होता है.
सम्राट के बाद आजादी के पूर्व सिधिंया राजघराने ने भी इस परंपरा को जारी रखा और अब इस परंपरा को जिले के मुखिया निभा रहे हैं.
वर्तमान समय में जिला कलेक्टर या वरिष्ठ जिला प्रशासनिक अधिकारी ही महाअष्टमी की पूजा करते हैं. परंपरागत तरीके से विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के समीप स्थित चौबीस खंबा माता मंदिर से पूजा शुरू होकर गढकालिका मंदिर में समाप्त होती है.
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