मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज और छह मंत्रियों को दी राहत

Last Updated 29 Aug 2014 03:51:46 PM IST

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और छह मंत्रियों को राहत दे दी है.


(फाइल फोटो)

हाईकोर्ट ने भोपाल में गैमन इंडिया को सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक्ट (सीबीडी) के लिए आवंटित जमीन को हजारों करोड़ का जमीन घोटाला बताने वाली जनहित याचिका में से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और आधा दर्जन मंत्रियों के नाम हटाने की अर्जी मंजूर कर ली है.

मुख्य न्यायाधीश एएम खानविलकर और जस्टिस आलोक अराधे की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि जमीन के आवंटन के संबंध में कैबिनेट के फैसले पर याचिकाकर्ता ने सवाल उठाए हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि उसमें मुख्यमंत्री और मंत्रियों का कोई निजी हित रहा होगा. मामले की अगली सुनवाई आगामी 5 सितंबर को होगी.

यह याचिका राजधानी के जन अधिकार मंच के देवेंद्र प्रकाश मिश्रा की ओर से सितंबर 2012 में दायर की गई थी. याचिका में कहा गया है कि सीबीडी के नाम पर 15 एकड़ जमीन विकसित करने का टेंडर कैबिनेट ने 8 फरवरी 2008 को मुंबई की कंपनी के पक्ष में पास किया था. इसके बाद गैमन इंडिया कंपनी ने दीपमाला इन्फ्रास्टक्चर प्रा.लि. (डीआईपीएल) नामक कंपनी बनाई और फिर तमाम लेनदेन यही कंपनी करने लगी.

याचिका में मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव राजस्व, आवास और पर्यावरण विभाग, नगरीय प्रशासन विभाग, विधि विभाग, लोक निर्माण विभाग, कमिशनर और कलेक्टर भोपाल, गृह निर्माण मंडल के आयुक्त, उप पंजीयक भोपाल सहित मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तत्कालीन मंत्री बाबूलाल गौर, जयंत मलैया, करण सिंह वर्मा, राजेन्द्र शुक्ल, राघवजी और कुसुम मेहदेले सहित अन्य को पक्षकार बनाया गया था.

मामले की पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान शासन ने जमीन फ्री होल्ड किये जाने के आदेश को वापस ले लिये जाने की जानकारी देते हुए कहा था कि आवेदक ने सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिये मुख्यमंत्री और मंत्रियों को पक्षकार बनाया है.

अदालत ने गुरुवार को इस मामले की सुनवाई के बाद मुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों के नाम हटाने के निर्देश दिये.



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