आय से अधिक मामले में बर्खास्त आईएएस दम्पत्ति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी

Last Updated 29 Aug 2014 01:22:59 PM IST

मध्य प्रदेश में भोपाल की विशेष अदालत ने आय से अधिक सम्पत्ति मामले में प्रदेश के बर्खास्त पहले आईएएस दंपति अरविंद-टीनू जोशी के खिलाफ संज्ञान लेते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है.


बर्खास्त IAS दम्पत्ति के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट (फाइल फोटो)

विशेष अदालत में लोकायुक्त पुलिस संगठन ने करीब 42 करोड़ रुपए की अनुपातहीन संपत्ति का प्रकरण बनाकर चालान पेश किया था. अदालत ने छह लोगों को जेल भेज दिया है और इतनों के ही खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है.

विशेष न्यायाधीश दिनेश कुमार मिश्रा की अदालत ने गुरुवार को अरविंद-टीनू जोशी के मामले में संज्ञान लेते हुए यह गिरफ्तारी वारंट जारी किया. उन्हें आगामी नौ सितंबर को अदालत में पेश होने के निर्देश दिये गये हैं.

विशेष स्थापना पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि अरविंद और टीनू जोशी करीब 42 करोड़ रुपये की आय के स्रोत नहीं बता पाए. प्रकरण के चलते ही दोनों वरिष्ठ अफसरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा है. अदालत में भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला पेश किया गया था. इस पर अदालत ने संज्ञान लिया है.

अधिकारियों ने बताया कि जोशी की ओर से उनके वकील ने हाजरी माफी का आवेदन पेश किया था लेकिन अदालत के आदेश की लगातार अवहेलना और हाजिर नहीं होने पर हाजरी माफी आवेदन निरस्त कर अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने के आदेश दिये.

अदालत ने जोशी के कारोबारी सहयोगी एस.पी. कोहली के अलावा सीमांत कोहली, पवन अग्रवाल, ललित जग्गी, बीमा एजेंट सीमा और संतोष जायसवाल को जेल भेज दिया है. इन छह आरोपियों ने अदालत में उपस्थित होकर नियमित जमानत का आवेदन लगाया था लेकिन अदालत ने उसे निरस्त कर सभी को जेल भेजने के आदेश दिये.

अरविंद-टीनू जोशी के साथ ही उनकी अप्रवासी भारतीय बहनें आभा जोशी और विभा जोशी पार्किन के साथ गुवाहाटी का प्रापर्टी ब्रोकर श्रीदेव शर्मा, दिल्ली की स्टाम्प वेंडर राजारानी और प्रदीप जैन के खिलाफ भी गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया है.

विशेष स्थापना पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि आभा जोशी और विभा जोशी पार्किन के गिरफ्तारी वारंट की तामील के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखा जाएगा. जोशी ने दोनों बहनों के नाम पर भोपाल के आसपास जमीनें खरीदी थीं जबकि अप्रवासी भारतीय बिना केंद्र सरकार की इजाजत लिए कृषि योग्य भूमि खरीद ही नहीं सकते हैं.

साथ ही खरीद-फरोख्त के लिए जो धन विदेश से आता है वो भारतीय रिजर्व बैंक के माध्यम से आना चाहिये लेकिन इस प्रकरण में इस तरह की कवायद के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं.



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