हेलमेट को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया
दो पहिया वाहन चालकों को हेलमेट की अनिवार्यता और यातायात नियमों के पालन को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है.
(फाइल फोटो) |
हाईकोर्ट ने प्रदेश के गृह सचिव को निर्देशित किया है कि वे हेलमेट की अनिवार्यता को लेकर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट शपथ पत्र के साथ पेश करें.
मुख्य न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति आलोक अराधे की युगलपीठ ने मंगलवार को इस मामले में शासन को मोहलत प्रदान करते हुए मामले की सुनवाई 16 सितंबर को नियत की है.
वर्ष 2006 में साइंस कॉलेज के सहायक प्रोफेसर ए.के. बाजपेयी ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को हेलमेट को लेकर दिसंबर 2005 में जारी आदेश का अमल सुनिश्चित करने के लिए पत्र भेजा था. इसकी जनहित याचिका के रूप में सुनवाई करने के निर्देश तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने दिये थे.
याचिका में कहा गया था कि बगैर हेलमेट के वाहन चलाने और उस दौरान मोबाइल फोन का प्रयोग और तीन सवारी को लेकर न्यायालय ने सख्त आदेश जारी किये थे. लेकिन कहीं भी उसका पालन नहीं किया जा रहा है.
आवेदक का कहना है कि वाहन चालको के हेलमेट न पहनने और यातायात नियमों का पालन न किये जाने से सड़क दुर्घटनाओं में इजाफा हो रहा है.
इसके अलावा पत्र में कहा गया था कि वाहन डीलरों को कम दाम पर हेलमेट उपलब्ध कराने की अनिवार्यता सुनिश्चित की जाये. साथ ही लोगों को जागरुक करने अभियान चलाया जाये.
पत्र में कहा गया है कि कोर्ट के आदेश के बावजूद भी पुलिस और जिला प्रशासन के अधिकारी उसका पालन सुनिश्चित नहीं करा पा रहे. सुनवाई के पश्चात कोर्ट ने गृह सचिव को उक्त निर्देश दिये.
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