जिला प्रशासन ने सिंधिया स्कूल में आदर्श के साथ रैगिंग की पुष्टि की, स्कूल प्रबंधन को ठहराया जिम्मेदार

Last Updated 26 Aug 2014 12:39:49 PM IST

ग्वालियर जिला प्रशासन ने नगर के प्रतिष्ठित सिंधिया स्कूल में छात्र आदर्श सिंह की रैगिंग के मामले में स्कूल प्रबंधन को दोषी ठहराया है.


(फाइल फोटो)

जिला प्रशासन ने स्कूल प्रबंधन को एक नोटिस जारी कर सुप्रीम कोर्ट के परिपालन में क्या कार्रवाई की उसके संबंध में 27 अगस्त की शाम तक जानकारी चाही है.

ग्वालियर जिला प्रशासन ने नगर के प्रतिष्ठित सिंधिया स्कूल में बिहार के सहकारिता मंत्री जयकुमार सिंह के 13 वर्षीय पुत्र आदर्श सिंह द्वारा आत्महत्या का प्रयास किये जाने के मामले में स्कूल के कुप्रबंधन को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि आदर्श के साथ रैगिंग की जानकारी होने के बावजूद स्कूल प्रबंधन ने कोई कदम नहीं उठाया.

जिलाधिकारी पी. नरहरि ने संवाददाताओं से अनुविभागीय दंडाधिकारी श्रुतिस्मिता सक्सेना के नेतृत्व में पांच सदस्यीय समिति द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 12वीं के कुछ छात्रों द्वारा आदर्श की रैगिंग ली जा रही थी और उन्हीं की प्रताड़ना के कारण उसने यह कदम उठाया.

उन्होंने रिपोर्ट के हवाले से कहा कि स्कूल के हॉस्टल के हाउस मास्टर (वार्डन) को निश्चित ही दस दिन से हो रही इस घटना की जानकारी रही होगी क्योंकि आदर्श ने भी इस बात की शिकायत प्रबंधन से की थी. उन्होंने कहा कि यदि हाउस मास्टर को इस घटना की जानकारी नहीं थी तो निश्चित ही इसे स्कूल का कुप्रबंधन और लापरवाही कहा जा सकता है.

रिपोर्ट के अनुसार स्कूल में मोबाइल पर प्रतिबंध होने के बावजूद आदर्श द्वारा दस दिन पहले फेस बुक पर अपनी फोटो अपलोड की गई थी और सीनियर छात्र भी अपनी फोटो अपलोड करना चाहते थे और इसी के कारण उन्होंने आदर्श को प्रताड़ित करना शुरू किया.

जिलाधिकारी ने कहा कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने बताया कि आगे की कार्यवाही के लिये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस रिपोर्ट की प्रतिलिपी भेजी गई है.

नरहरि ने बताया कि इसके अलावा स्कूल प्रबंधन से सुप्रीम कोर्ट के रैगिंग को लेकर दिये गये निर्देशों के संबंध में की गई कार्यवाही से अवगत कराने के लिये पत्र भी लिख गया है.

उल्लेखनीय है कि 20 अगस्त की रात आदर्श को हॉस्टल के कमरे के बाहर संदिग्ध अवस्था में तड़पता पाया गया था. उसके गले में चादर लिपटी थी. उसे एक निजी अस्पताल में इलाज के बाद दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भेजा गया, जहां उसकी स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है.



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