अडाणी-अंबानी के एजेंट हैं मोदी: शाजिया
‘आप’ प्रवक्ता एवं गाजियाबाद से पार्टी की प्रत्याशी शाजिया इल्मी ने भाजपा की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को अडाणी और अंबानी का एजेंट बताया है.
शाजिया इल्मी |
शाजिया ने कहा है कि यदि देश में मोदी की जबरदस्त लहर है, तो उन्हें दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव क्यों लड़ना पड़ रहा है.
भोपाल लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आप प्रत्याशी रचना ढींगरा के समर्थन में शनिवार को भोपाल में प्रचार करने आई शाजिया ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘‘मोदी का विकास मॉडल छलावा है, वह तो अडाणी और अंबानी के एजेंट हैं. यदि देश में मोदी लहर है, तो उन्हें वाराणसी के साथ वड़ोदरा से लोकसभा चुनाव क्यों लड़ना पड़ रहा है, जबकि अरविंद केजरीवाल तो एक ही क्षेत्र से मैदान में हैं.’’
कई वर्षों बाद मोदी द्वारा अपने नामांकन पर् में पत्नी का नाम लेने को लेकर पूछने पर उन्होंने कहा कि जब मोदी, सुनंदा पुष्कर को लेकर सवाल दाग सकते हैं, तो उन पर भी सवाल किया जा सकता है.
शाजिया ने लोगों से परिवर्तन की अपील करते हुए कहा है कि कांग्रेस और भाजपा की घिसीपिटी राजनीति से अलग अब देश के लोगों को ईमानदार और पारदर्शी राजनीति के लिए बदलाव लाने की जरूरत है.
आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल को दिल्ली में ‘रोड शो’ के दौरान हाल ही एक आटो चालक द्वारा थप्पड़ मारने को लेकर एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह उन्हें (केजरीवाल) ईमानदार होने की सजा मिली है. उन्होने कहा, ‘‘अरविंद आम आदमी हैं और आम आदमी से मिलते हैं, इसलिए उन्हें थप्पड़ मिला, लेकिन बड़े नेता तो हैलीकॉप्टर से उतरते ही नहीं, तो उन्हें कैसे थप्पड़ पड़ेगा.’’
इस थप्पड़ के बाद पार्टी कोष में चंदा बढ़ने को आप प्रवक्ता ने सहानुभूति से जोड़ा. उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद वहां सरकार बनने पर जनता की हमसे उम्मीदें बढ़ गई थीं और कुछ बातों को लेकर उनमें गुस्सा भी था.
उन्होंने कहा, ‘‘भले ही कुर्सी न छोड़ो, पर लोगों का खून चूसो, यही अब नेताओं का सिद्धांत है. लेकिन कुर्सी छोड़कर अरविंद ने साहस का काम किया है.’’
आप रायबरेली से सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ने को तैयार क्यों नहीं हुई, इस प्रश्न पर शाजिया ने कहा, ‘‘मैं सोनिया गांधी, अजहरूद्दीन अथवा जयाप्रदा नहीं बनना चाहती हूं, जिस क्षेत्र को मैं जानती-समझती नहीं, वहां से कैसे चुनाव लड़ सकती हूं.’’
उन्होंने कहा कि जो नेता करोड़ों-अरबों कमा रहे हैं, उनसे कोई सवाल नहीं पूछता, लेकिन केजरीवाल चूंकि ईमानदार राजनीति कर रहे हैं, उनसे चंदे का हिसाब मांगा जाता है. पिछले 65 सालों में ये नेता जंगल खा गए, जमीनें हड़प गए और यहां तक की जमीन के अंदर से कोयला तक हजम कर गए, लेकिन उनसे कोई कुछ नहीं पूछता.
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