झारखंड में खादी एवं ग्रामोद्योग की दो दिवसीय कार्यशाला शुरु
झारखंड की राजधानी रांची में सोमवार से खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की दो दिवसीय कार्यशाला शुरु हो गयी.
![]() (फाइल फोटो) |
राज्यपाल द्रौपदी मुमरू ने सोमवार यहां केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मांलय के खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग द्वारा आयोजित दो दिवसीय ‘अभ्यारण्य कार्यशाला’ का उद्घाटन करते हुए कहा कि झारखंड में कई ऐसे सपूत और महानायक हुए जिन्होंने अपने समाज एवं देश के लिए सबकुछ न्योछावर कर दिया.
अमर शहीद बिरसा मुंडा, सिद्धो-कान्हू, चाँद-भैरव, शेख भिखारी, टिकैत उमराव सिंह, ठाकुर विनाथ शाहदेव, टाना भगत आदि कई महान विभूति इसके उदाहरण हैं.
श्रीमती मुमरू ने कहा कि भारत का यह भू-भाग प्राकृतिक दृष्टिकोण के साथ-साथ खनिज सम्पदा के मामले में भी समृद्ध है. इसके साथ ही यहां के युवा भी मेहनती हैं, लेकिन जरूरत है उन्हें सही मार्गदर्शन की.
विडम्बना है कि अपार खनिज सम्पदा तथा वन उत्पाद के बावजूद इन प्रदेशों की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अपेक्षा के अनुरूप विकास नहीं कर पाया है. कई राज्य इस समस्या से जूझ रहे हैं और विकास के प्रति चिन्तनशील है.
ऐसे में बेरोजगार युवाओं को भटकाव से रोकने एवं विकास की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए सर्वप्रथम उन्हें रोजगार मुहैया कराने की दिशा में पहल करनी होगी. इससे वे आर्थिक रूप से मजबूत एवं सशक्त होंगे एवं सामाजिक दशा में भी सुधार होगा.
राज्यपाल ने कहा कि इस अवसर पर वह झारखण्ड के टाना भगत समुदाय का उल्लेख करना चाहेंगी जिन्होंने गांधी जी के बतलाये मार्ग पर चलकर सत्याग्रह आन्दोलन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया और स्वदेशी को पूर्णत: अपनाया.
मंगलवार भी टाना भगत समुदाय महात्मा गाँधी जी द्वारा बताये गये मार्ग का पालन करते हैं और स्वनिर्मित खादी का कुर्ता, धोती एवं गांधी टोपी पहनते हैं. ये अपने आंगन में चरखा तथा तिरंगा का पूजा करते हैं. इसकी जितनी भी सराहना की जाये कम है.
श्रीमती मुमरू ने कहा कि पिछले कुछ सालों से टाना भगत समुदाय उचित सहायता की आशा में है. ऐसे में खादी और ग्रामोद्योग आयोग इन टाना भगतों के आर्थिक विकास में अहम भूमिका अदा कर सकता है.
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी यही विचार था कि ग्रामीणों, आदिवासियों को उनके कार्य की उचित मजदूरी मिले जिससे उनका समग्र विकास हो.
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