झारखंड में विकास के विजन वाले नेता की कमी : नीतीश

Last Updated 24 May 2016 03:39:11 PM IST

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मानना है कि झारखंड में विकास को लेकर विजन वाले नेता का अभाव है, जिसके कारण यहां विकास बाधित है.


नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

नीतीश ने सोमवार को रांची के मोरहाबादी मैदान में झारखंड विकास मोर्चा के महाधिवेशन में कहा कि झारखंड में विकास का विजन एकमात्र नेता बाबूलाल मरांडी के पास है. यदि बाबूलाल मरांडी झारखंड में अब मुख्यमंत्री रहते तो यहां जो विकास होता, उसके बारे में लोग परिकल्पना भी नहीं कर सकते हैं लेकिन भाजपा नेतृत्व को यह स्वीकार्य नहीं था.

उन्होंने कहा कि झारखंड को यहां के नेता नहीं, बल्कि ऊपर से चलाया जाता है. उन्होंने कहा कि बाबूलाल से भाजपा नेताओं की चिढ़ इसी बात को लेकर है कि वे इसी जमीन के आदमी है, अपनी सोच से चलते है, जो भाजपा नेतृत्व को मंजूर नहीं. बिहार में शराबबंदी का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड के अनुसूचित जनजाति समाज को बदनाम करने की कोशिश की जाती है. यहां वर्ष पहले शिबू सोरेन ने अपने समाज के बीच शराबबंदी का अभियान चलाया और अब बाबूलाल मरांडी यह अभियान चला रहे हैं इसके अलावा पिछले दिनों धनबाद में महिलाओं ने सम्मेलन बुलाया, जिसमें उन्होंने हिस्सा लिया, जबकि खबर मिली है कि गिरिडीह में भी बड़ी संख्या में महिलाओं ने अभियान चलाया.

उन्होंने कहा कि बिहार में शराबंदी के पहले झारखंड के मुख्यमंत्री को उन्होंने पत्र लिखा, लेकिन यहां के मुख्यमंत्री ने जवाब दिया कि उत्पाद विभाग को उचित कार्रवाई के लिए भेज दिया गया है, जबकि बिहार से सटे सीमावर्ती इलाके में देशी और अंग्रेजी शराब की आपूत्तर्ति बढ़ा दी. उन्होंने आंकड़ा देते हुए बताया कि सीमावर्ती पलामू जिले में देशी शराब 50 प्रतिशत, गढ़वा में 45 प्रतिशत, चतरा में 25 प्रतिशत व गिरिडीह में 25 प्रतिशत देशी शराब के कोटे को बढ़ाया गया. वहीं कोडरमा में अंग्रेजी शराब का कोटा 40 प्रतिशत चतरा में 50 प्रतिशत गोड्डा में 30 प्रतिशत और पलामू में भी 35 प्रतिशत से अधिक का कोटा बढ़ा दिया गया.

झारखंड सरकार ने उनके पत्र का यही उत्तर दिया और पिछली बार जब वे धनबाद आये, तो मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह बयान दिया कि वे सत्ता के नशे में चूर हैं, लेकिन हकीकत यह है कि वे सत्ता के नशे में चूर नहीं हैं. नीतीश ने कहा कि भाजपा नेताओं को अपनी मर्यादा का भी ख्याल नहीं रहता. बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त प्रधानमंत्री पद की गरिमा भूल गये.

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने तो चुनाव परिणाम आने के पहले ही उनके मिनट टू मिनट कार्यक्रम जारी करते हुए बताया कि नीतीश कुमार कब राज्यपाल को जाकर अपना इस्तीफा सौंप देंगे. भाजपा नेताओं की ओर से हर प्रकार से उन्हें अपमानित करने की कोशिश की गयी, यहां तक कह दिया गया कि उनके डीएनए में ही गड़बड़ है लेकिन तब भी उन्होंने हर मर्यादा का पालन किया.

मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस तरह से झारखंड विकास मोर्चा ने पिछले विधानसभा चुनाव में तमाम विपरीत परिस्थितियों में आठ सीटों पर जीत हासिल की, उससे बौखलाकर भाजपा ने झाविमो के छह विधायकों को तोड़ने की कोशिश की यह मजबूती नहीं भाजपा की कमजोरी को दर्शाता है.

उन्होंने कहा कि अभी देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ, इस चुनाव के पहले ही उन्होंने यह बताया दिया था कि भाजपा सिर्फ यही बताने की कोशिश करेगी कि असम विधानसभा चुनाव ही संपन्न हुआ. उन्होंने कहा कि वहां यदि बिहार जैसा गठबंधन होता, तो भाजपा को कतई कोई सफलता नहीं मिलती और उनका दावा है कि भाजपा दो अंकों का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाती.

झाविमो अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड. बिहार जब एक था, तो वर्ष 1995 में जमशेदपुर में जहरीली शराब पीने से 32 लोगों की मौत हो गयी थी. यह घटना तब रघुवर दास के विधानसभा क्षेत्र में हुई थी और उस समय भाजपा बिहार में विपक्ष में थी, जब रघुवर दास और यशवंत सिन्हा धरना पर बैठे थे.

बाद में अर्जुन मुंडा सरकार में शराब पीने से मरने वालों के आश्रितों को नौकरी दी गयी. इसके लिए वे बधाई देते हैं, लेकिन जिन लोगों के कारण 32 लोगों की मौत हुई, उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. इस मामले की सीबीआई जांच होनी चाहिए.

उन्होंने कहा कि झारखंड में एक सर्वे हुआ, जिसमें 96 प्रतिशत जनप्रतिनिधियों और अधिकांश महिलाओं ने शराबबंदी का पक्ष लिया, लेकिन झारखंड सरकार शराबबंदी पर रोक लगाने के बजाए सीमावर्ती इलाके में शराब के कोटे को ही बढ़ा दिया.

मरांडी ने कहा कि पिछले 18 महीने के कार्यकाल में झारखंड में 60-62 सांप्रदायिक दंगे हुए, यह सब सत्ता में बैठे लोगों के संरक्षण में हो रहा है और राज्य सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि झारखंड में उग्रवादी पैसा वसूल रहा है.

यह पैसा सत्ता के शिखर तक पहुंचता है, मुख्य सचिव ने तब गृह सचिव को पत्र लिखाए लेकिन कई महीने बीत गये एसआईटी जांच नहीं हुई. उन्होंने कहा कि राज्य में सत्ता शीर्ष में भी आपसी लड़ाई चरम पर है. मुख्यमंत्री व मंत्री के बीच बातचीत नहीं होती है, मंत्री कहते है कि अधिकारी उनकी बात नहीं सुनते है.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 संघर्ष और संगठन का वर्ष है, आने वाले समय में अंधेरा दूर होगा वनवास खत्म होगा. 2019 झाविमो का होगा.



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