झारखंड: गढ़वा में रुकने का नाम नहीं ले रहा है भ्रष्टाचार
झारखंड सरकार भले ही भ्रष्टाचार मुक्त सरकार की गीत गाती रहे लेकिन ये रुकने का नाम नहीं ले रहा है.
(फाइल फोटो) |
जिले में आने वाली बड़ी योजनाएं ई टेंडर में चली जा रही है, जिस पर दबदबा मंत्री और सचिवों का है. अब ऐसे में जिले में गरीबी से निजात दिलाने वाली योजनाओं पर जिले के अधिकारियों की जबरदश्त पकड़ है.
अब हालात यह है कि भइया मेरे पैसा दोगे तभी जाकर योजना का लाभ मिलेगा. मनरेगा योजनाओं में जहां 20 प्रतिशत की खुलेआम उगाही हो रही है, वहीं आंगनबाड़ी केंद्रों में गरीब बच्चों को खिलाने के लिए भेजे गए पोषाहार को ही खुले बाजार में पशुचारा के रूप में बेच दिया जा रहा है. लेकिन जिला प्रशासन के कानों तक जूं भी नहीं रेंग रही है.
यही सच्चाई है गढ़वा जिला की. यहां मनरेगा से ली जाने वाली सभी तरह की योजनाओं पर खुलेआम कमीशन का धंधा चल रहा है. लेकिन इसको रोकने में जिला प्रशासन नाकामयाब दिख रही है. पहले ये सब योजनाएं जिला मुख्यालय के द्वारा स्वीकृत की जाती थी लेकिन जबसे इसे प्रखंड स्तर पर कर दिया गया है, तबसे भ्रष्टाचार में और इजाफा हो गया है.
अभी हाल ही में एसीबी ने रमना प्रखंड के एक कर्मी को दस हजार की रिश्वत लेते पकड़ा था. जबकि गढ़वा थाने में बच्चों को दिया जाने वाला पोषाहार को पुलिस ने कालाबाजारी करते पकड़ा है. वहीं बीडीओ अपने प्रखंडों में पैसा उगाही करने के लिए कर्मचारियों को अपना वफादार एजेंट नियुक्त किया है.
इस आवाज को पंचायत जनप्रतिनिधियों ने जिला परिषद की सदन में दी. इस मामले पर विधायक ने बताया की भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए जनप्रतिनिधियों को आगे आना चाहिए. वहीं जिला परिषद उपाध्यक्ष ने इस मामले को मुख्यमंत्री तक पहुंचाने की बात कही.
बीडीओ ने कहा कि मैं खुद जांच कर कार्रवाई करुँगा. उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए आरोप को बेबुनियाद बताया है. जिला प्रशासन का कहना है कि भ्रष्टाचार पर किसी को बख्शा नहीं जाएगा.
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