तीन सौ आदिम जनजातियों ने अपना ईसाई धर्म

Last Updated 13 Oct 2015 04:51:57 PM IST

झारखड़ में गरीबी और लाचारी की वजह से 300 आदिम जनजाति असुर परिवारों को ईसाई धर्म अपनाना पड़ा. इन्हें किसी भी प्रकार की कोई सरकारी सुविधायें प्राप्त नही हो रही थीं.


ईसाई धर्म (फाइल)

बदहाली और असुविधाओं के चलते मजबूरन सरना धर्म के 300 आदिम जनजाति असुर परिवारों कों ईसाई धर्म अपनाना पड़ा. इन असुर परिवारों कों किसी भी प्रकार की कोई सरकारी सुविधायें प्राप्त नही हो रही थी. इन लोगो के धर्म परिवर्तन का मुख्य कारण गांव का विकास व बच्चों की शिक्षा भी है.


ये जनजाति असुर परिवार डोकापाट, लुपुंगपाट, भंडियापाट, बेसनापाट व नवाटोली गॅावों में निवास करते है. ये गॅाव पहाड़ी व घने जंगलो के बीच बसे हुये है.



यहां के रास्ते टेढ़े-मेढ़े होने के साथ साथ चलने लायक नही है. वहीं यहॅा पर कोई प्रशासनिक अधिकारी नही आता और शिक्षा का स्तर भी बहुत ज्यादा खराब है.

यहॅा के परिवार सरकारी उदासीनता के कारण आक्रोश में है. वहीं लुपुंगपाट गांव के श्रीयानुस असुर (60) और रफैल असुर (60) ने कहा कि सरकार ने हमें कुछ भी नही दिया है, हम यहॅा मर मर कर जी रहे.

न तो बिजली है, न तो पीने के लिये साफ पानी औऱ न ही कोई राशन की कोई व्यवस्था. ऐसे में पूरे गांव ने ईसाई धर्म अपनाना ही ठीक समझा. जिससे कम से कम हमारे बच्चे पढ़ तो सकते है और हमारे गॅाव के विकास के भी आसार है.
 



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