नक्सलियों ने की महिला कमांडर की हत्या, पढ़ना चाहती थी वह
नक्सलियों ने गुमला में 20 साल की एक लड़की को सिर्फ इस लिए मार डाला क्योंकि वह नक्सलियों के खेमे से भागकर स्कूल जाना चाहती थी.
महिला कमांडर |
झारखंड के गुमला में नक्सलियों ने एक 20 वर्षीय लड़की की हत्या कर दी. उसका कसूर सिर्फ यह था कि उसने लाल सलाम छोड़कर किताबें चुनी, गुरुवार को गुमला की पहाडियों में उसका खून से सना शव मिला. मृतका की पहचान संजीता कुमारी उर्फ गुड्डी के रूप में हुई है, नक्सलियों ने कहा कि वह पुलिस की गुप्तचर थी.
जानकारी के अनुसार जब वह 11 साल की थी तब अपने पड़ोस में रहने वाली सविता की बातों में आकर नक्सलियों के जुड़ गई और वहां पर रसोइए के रूप में काम करने लगी.
यहां पर उसे हथियारों की ट्रेनिंग भी दी गई और वह इनसास और कार्बाइन चलाने में एक्सपर्ट हो गई. लातेहार में एक बार सुरक्षाबलों से मुठभेड़ के दौरान उसके पैर में गोली लग गई थी. इसके बाद वह सुरक्षित स्थान पर पहुंचने को चार किलोमीटर दूर तक भागी.
आठ साल तक वहां काम करने के बाद वह नक्सलियों के कैंप से भाग गई और गुमला में आकर छुप गई. यहां पर उसने एक मकान किराए पर लिया और स्कूल में दाखिला करा लिया.
मां-बाप और रिश्तेदारों को मार देंगे नक्सली
इस दौरान नक्सलियों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और वे उसकी तलाश करते रहे. एक अंग्रेजी अखबार को संजीता ने 28 जुलाई को बताया कि वह सरेंडर नहीं कर सकती क्योंकि जैसे मेरे नेता को पता चलेगा वह मां-बाप और रिश्तेदारों को मार देगा.
मैं तब तक पढ़ती रहूंगी जब तक कि मैं पकड़ी नहीं जाती हूं या फिर वे लोग मुझे बंदी नहीं बना लेते हैं. उसने बताया कि नक्सलियों के साथ रहने के दौरान उसे जोनल कंमाडर कंचन से प्रेम हो गया था और वह शादी करना चाहती थी लेकिन पुलिस के साथ एक मुठभेड़ में वह मारा गया.
नक्सली महिलाओं को करवाना पड़ता है अबॉर्शन
नक्सलियों का कच्चा चिट्ठा खोलते हुए बताया कि वे लोग लड़कियों को यौन शोषण करते हैं. बाद में इसे सहमति से बनाए हुए संबंध बताते. वहां पर अबॉर्शन सामान्य बात थी क्योंकि महिला कमांडर मां नहीं बन सकती.
जब मैंने कैंप छोड़ा था उस समय जोनल कमांडर नकुलजी के कैंप में 23 नाबालिग लड़कियां थी और उनमें से 10 तो 10 साल से भी छोटी थीं.
मंगलवार को जब वह अपने गांव सिबिल में माता-पिता से मिलने गई तो नक्सलियों ने उसे अगवा कर लिया. उन्होंने एक खत पीछे छोड़ा जिसमें लिखा था कि गुड्डी को मरना होगा क्योंकि कई चेतावनी देने के बाद भी वह मानी नहीं है.
उसके शव को पुलिसवालों के बजाय गांववाले अस्पताल लाए. गुमला के एसपी भीमसेन टूटी ने गुड्डी के बारे में बताया कि वह उनकी गुप्तचर नहीं थी और उसके खिलाफ माओवाद से जुड़े केस के बारे में भी हम नहीं जानते.
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