झारखंड की नौकरियों में बिहार के लोगों को रोकना मौलिक अधिकार का हनन: नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झारखंड में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की नौकरियों में बिहार के लोगों पर रोक को मौलिक अधिकारों का हनन बताया.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो) |
उन्होंने कहा कि इसका जवाब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय नेताओं के साथ स्थानीय नेताओं को भी देना चाहिए.
कुमार ने बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एक तरफ \'सबका साथ सबका विकास\' की बात करते हैं लेकिन उनकी पार्टी की नीति इससे अलग है. उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि "यदि वास्तव में भाजपा सबका विकास चाहती है तो यह तरह की बात क्यो हो रही है. उन्होंने कहा कि यदि झारखण्ड के लोग बिहार में नौकरी पाना चाहते हैं तो कोई रूकावट नहीं है, फिर झारखण्ड में रूकावट क्यों हैं."
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा नेता झारखण्ड विधानसभा में जीत का दावा करते हैं लेकिन यह जीत नहीं हार है.
लोकसभा चुनाव में पार्टी को 56 विधानसभा क्षेत्र में बढ़त थी, जबकि विधानसभा चुनाव में यह घटकर 37 हो गई. पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले 20 सीट पीछे चले गये. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि पिछले चुनाव में भाजपा को विरोधियों के बीच गठबंधन नहीं होने का फायदा मिल गया.
कुमार ने कहा कि उनकी पार्टी बिहार के लोगों पर रोक की बात को पूरी तरह से अमान्य करती हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के विकास के लिए हम तो सबको बुला रहे थे, लेकिन भाजपा के नेता नहीं आये. उन्होंने साफ किया कि भाजपा के नेताओं को लोगों की सेवा से मतलब नहीं, भाजपा के एक-एक नेता का अलग-अलग बयान होता है. यदि पिछले कुछ माह के भाजपा नेताओं के बयान पर गौर किया जाये तो उनके बयानों में द्वंद (मतभेद) साफ दिखाई पड़ता है.
मुख्यमंत्री ने मीडिया की स्वतंत्रता की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है. लोकतंत्र की मजबूती के लिये मीडिया आवश्यक है. मीडिया के ऊपर कोई आरोप नहीं लगाना चाहिये. मीडिया की स्वतांता आवश्यक है.
कुमार ने कहा कि मीडिया में आयी बात किसी को अच्छा लगी या नहीं, अपनी जगह पर है. मीडिया की जो भूमिका है, वह भूमिका प्रभावी ढ़ंग से निभाया जाना चाहिये, नहीं तो लोकतंत्र कमजोर हो जायेगा. मीडिया के बारे में कोई कुछ भी बोले यह उचित नहीं है. मीडिया को अपनी भूमिका अदा करने की छूट है. इसे अपनी भूमिका अदा करनी चाहिये.
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