झारखंड पुलिस पर गोपनीय कोष के दुरूपयोग का आरोप, SC करेगा सुनवाई

Last Updated 11 Jan 2015 02:27:25 PM IST

नक्सल प्रभावित झारखंड के शीर्ष पुलिस अधिकारी जांच के घेरे में आ सकते हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट नक्सलवाद का मुकाबला करने के लिए बने गोपनीय सेवा कोष से \'मुखबिरों को धन देने\' के नाम पर बहुत बड़ी रकम निकाले जाने और इसके दुरूपयोग की सीबीआई जांच के लिए दायर याचिका पर सुनवाई करेगा.


पुलिस ने किया गोपनीय कोष का दुरूपयोग! (फाइल फोटो)

प्रधान न्यायाधीश एच एल दत्तू और न्यायमूर्ति ए के सीकरी की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष इस संबंध में जनहित याचिका सुनवाई के लिेए आई तो उसने कहा, ‘‘हम निश्चित ही अगले सप्ताह इस पर विचार करेंगे.
      
यह जनहित याचिका रांची निवासी सामाजिक कार्यकर्ता राजू कुमार ने वकील निर्मल कुमार अंबष्ठा के माध्यम से दायर की है. याचिका में राज्य के पुलिस अधिकारियों के गोपनीय सेवा कोष से धन निकालने और उसे वितरित करने के तरीके की सीबीआई जांच का अनुरोध किया गया है.
       
याचिका में सीबीआई के साथ ही गृह मंत्रलय और झारखंड राज्य को प्रतिवादी बनाया गया है. इनके अलावा सीएजी, पुलिस महानिदेशक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक को भी पक्षकार बनाया गया है.
        
याचिका में गोपनीय सेवा कोष की राशि का दुरूपयोग करने के आरोप में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण कानून के तहत मामले दर्ज करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है.
        
याचिका के अनुसार इस कोष को सीएजी जैसी सांविधानिक संस्था से जांच से छूट प्राप्त है और इसका सिर्फ प्रशासनिक ऑडिट ही होता है. याचिका में दावा किया गया है कि बिहार वित्त नियम और स्पेशल ब्रांच मैनुअल का भी पालन नहीं किया गया है.
        
याचिका में कहा गया है कि झारखंड सरकार ने पहले ही इसकी सीबीआई से जांच कराने की इच्छा व्यक्त कर दी थी.
         
याचिका में कहा गया है कि इस कोष से बड़ी रकम निकाले जाने के बावजूद राज्य पुलिस का मुखबिर तंत्र सबसे खराब है और यह सांसदों और उनके परिजनों की हत्या को रोकने में भी सफल नहीं हुआ है.

याचिका के अनुसार 2004-05 में इस कोष के लिए सिर्फ 50 लाख रूपए की व्यवस्था बजट में की गई थी जिसे 2005-06 में बढ़ाकर 8.30 करोड़ रूपए कर दिया गया था.

याचिका में कहा गया है कि 10 मार्च, 2006 को तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, स्पेशल ब्रांच, झारखंड ने 5.6 करोड़ रूपए निकाल लिए थे, हालांकि वह ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं थे.
          
याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस कोष से धन निकालने के लिये न्यूनतम अनिवार्य प्रावधानों का भी पालन नहीं किया गया है.
          
लंबे समय से नक्सलवाद की समस्या से जूझ रहे झारखंड राज्य को गोपनीय सेवाओं के लिए बजट के माध्यम से धन आबंटित होता है. इस धन का उपयोग अज्ञात मुखबिरों की सेवाओं और उनकी पहचान छिपाये रखने के लिए किया जाता है.



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