यदि गठबंधन में चुनाव लड़ते तो फिर से सत्ता में आते: हेमंत सोरेन
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रांची अफसोस जताया कि कुछ लोगों के चलते विधानसभा चुनावों से पूर्व झामुमो-कांग्रेस और समान विचारधारा के अन्य दलों में गठबंधन नहीं हो सका, वरना एक बार फिर राज्य में यही गठबंधन दोबारा सत्ता में आता.
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन |
पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रविवार को रांची में अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह बात कही.
उन्होंने स्वीकार किया, ‘‘चुनावों के समय मैंने अपनी पार्टी का अन्य समान विचारधारा वाले दलों के बीच गठबंधन न हो सकने पर कोई विशेष प्रतिक्रि या नहीं दी थी लेकिन इसे स्वीकार करने में कोई बुराई नहीं है कि इन दलों में चुनाव पूर्व गठबंधन न होने का सभी को नुकसान उठाना पड़ा है.’’
सोरेन ने कहा कि विपक्ष के बिखराव के साथ चुनाव मैदान में उतरने का सीधा लाभ भाजपा ने उठाया क्योंकि धर्मनिरपेक्ष दलों के मत विभाजित हो गये और भाजपा सत्ता में आ गयी.
उन्होंने एक बार फिर इसके लिए मुख्य रूप से कांग्रेस के कुछ नेताओं को जिम्मेदार ठहराया और यहां तक दावा किया कि यदि चुनाव पूर्व गठबंधन न हो पाने की बात पहले ही स्पष्ट हो गयी होती तो झामुमो और तैयारी से अन्य सीटों पर चुनाव लड़ती और कम से कम तीस सीटें अपने बूते जीतकर लाती.
इसके लिए उन्होंने सबूत के तौर पर बताया कि इन विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी कम से कम दस सीटों पर लगभग दो हजार या उससे भी कम मतों के अंतर से हारी है.
हाल के विधानसभा चुनावों में झामुमो ने सभी 81 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किये थे जिनमें से उसे 19 पर विजय प्राप्त हुई. पिछले चुनावों में उसे 18 सीटें हासिल हुई थीं.
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