मंगलयान को तैयार करने वाली टीम में झारखंड का लाल

Last Updated 25 Sep 2014 11:18:23 AM IST

भारत के मंगलयान की सफलता में झारखंड का नाम भी जुड़ा है. मंगलयान को तैयार करने वाली टीम में यहां के मुकुंद ठाकुर भी शामिल है.


मंगलयान की टीम में झारखंड का लाल (फाइल फोटो)

मुकुंद मंगलयान के सिस्टम इंटीग्रिशन ग्रुप का सदस्य है. वे सिदगोड़ा 10 नंबर बस्ती का रहने वाला है. स्कूली शिक्षा जवाहर नवोदय विद्यालय से पूरी की. 2004 में को-ऑपरेटिव कॉलेज से 12वीं पास की. जलपाईगुड़ी से बीटेक किया. 

पांच लोगों की इस टीम मुकुंद का यह पहला फुल टाइम प्रोजेक्ट था, जिस पर उन्होंने काम किया और देश को गर्व करने का एक मौका दिया.

मुकुंद ने कहा कि बीटेक करने के दौरान कैंपस सेलेक्शन हुआ था.  तीन-तीन मल्टीनेशनल कंपनियों से जॉब के ऑफर मिले. लेकिन दिल में भारत के लिए कुछ करने की बचपन से ही इच्छा थी. इसलिए सारी नौकरियों का ऑफर छोड़ 2010 में इसरो ज्वाइन किया.

मुकुंद ने जिस समय ज्वाइन किया था, उस वक्त आरआइएसएटी-1 के प्रक्षेपण की तैयारी की जा रही थी.  ट्रेनिंग लेने के बाद उसे आरआइएसएटी-1 का भी आंशिक रूप से हिस्सा बनने का मौका मिला, लेकिन मंगलयान की प्लानिंग तैयार होने से लेकर उसके सफल प्रक्षेपण तक वह पूर्णत: शामिल रहा.

पिता श्रीराम ठाकुर ने कहा कि मुकुंद अब देश के काम आ रहा है. लोग जब उसके बारे में अच्छी बातें करते हैं तो सिर गौरव से ऊंचा हो जाता है. पिता श्रीराम ठाकुर टिनप्लेट में सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट में कर्मचारी हैं. मां मृदुला देवी गृहिणी हैं.

यही नहीं मंगलयान मिशन में रांची के मनोज कुमार सिंह भी शामिल हैं. 2009 में बीआइटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में एमटेक करने वाले मनोज कुमार सिंह इस मिशन के पावर सिस्टम ग्रुप में शामिल हैं. मनोज के पिता मिथिलेश कुमार सिंह बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में सहायक थे.        
 
मनोज दिसंबर 2012 से इसरो के बेंगलुरु स्थित केंद्र में योगदान दे रहे हैं. इनका काम इस मिशन के थर्मो बेट सिस्टम देखना था. यह सेटेलाइट में पावर डिस्ट्रीब्यूशन का काम करता है, जो अहम होता है. टीम के सदस्यों को इसके माध्यम से वैक्यूम कंडीशन में इसके नियंत्रण का समय-समय पर ख्याल रखना होता है.



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