चारा घोटाले में नीतीश को आरोपी बनाने पर झारखंड उच्च न्यायालय का फैसला सुरक्षित

Last Updated 19 Sep 2014 11:40:50 PM IST

झारखंड हाईकोर्ट ने चारा घोटाले में जदयू नेता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा जदयू के पूर्व प्रवक्ता शिवानंद तिवारी को भी आरोपी बनाने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा.




बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश आर आर प्रसाद की पीठ ने शुक्रवार को इस मामले में याचिकाकर्ता मिथिलेश कुमार सिंह का पक्ष सुना और याचिकाकर्ता के जवाबी हलफनामे पर विचार किया. सिंह ने उच्च न्यायालय के निर्देश पर उसके सामने उन गवाहों और आरोपियों के नाम और बयान की सूची पेश की थी जिन्होंने नीतीश कुमार और शिवानंद के खिलाफ बयान दिये हैं.

उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता के साथ इस मामले में सीबीआई की भी बहस सुनी और मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. इससे पहले उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया था कि वह स्पष्ट तौर पर बतायें कि वह नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी के खिलाफ वास्तव में किन किन बिन्दुओं पर जांच चाहते हैं.

इससे पूर्व सुनवाई की पिछली तिथियों पर केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने झारखंड उच्च न्यायालय में स्वीकार किया था कि चारा घोटाले के मुख्य आरोपी एस बी सिन्हा ने बताया था कि उन्होंने बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घोटाले की रकम में से एक करोड़ रुपये और जदयू के प्रवक्ता शिवानंद तिवारी को 35 से 40 लाख रुपये दिये थे.

झारखंड उच्च न्यायालय ने मिथिलेश कुमार सिंह द्वारा नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी को भी चारा घोटाले में सहआरोपी बनाने के लिए दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को अपना पक्ष रखने को कहा था.

एजेंसी ने यह भी कहा था कि चारा घोटाले के चार मामलों आरसी 22ए-96, आरसी 24, आरसी 25 और आरसी 32ए-96 में भी मुख्य आरोपी एसबी सिन्हा उमेश सिंह और सरकारी गवाह बने आर के दास ने नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी को रुपये दिये जाने की बात कही थी.

बहरहाल, सीबीआई ने उच्च न्यायालय के समक्ष स्पष्ट किया कि मामले की जांच के दौरान यह बातें सामने आयी थीं फिर भी मुकदमे के दौरान इन बयानों को साबित करने लायक गवाहियां सामने नहीं आयी थीं जिसके चलते उसने नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी को मामले में सहआरोपी नहीं बनाया था.

हालांकि सरकारी गवाह आर के दास ने अपने 164 सीआरपीसी के बयान में उस समय सांसद चुने गये नीतीश कुमार को एक लाख रुपये के हवाई जहाज के टिकट देने की बात भी कबूली थी.

सीबीआई के अनुसार एस बी सिन्हा ने कहा था कि चारा आपूर्तिकर्ता विजय मलिक के माध्यम से नीतीश कुमार को एक करोड़ रुपये दिये गये थे जबकि शिवानंद तिवारी को उमेश प्रसाद सिंह के माध्यम से धन दिया गया था.

सीबीआई ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता भी इस मामले को सीबीआई की विशेष अदालत में इन मामलों की सुनवाई के अंतिम दौर में लेकर आये जिससे इन पर विचार करना संभव नहीं था जिसके चलते निचली अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी.

दूसरी तरफ याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय में लगातार दावा किया है कि नीतीश और शिवानंद तिवारी के खिलाफ मुकदमा चलाये जाने के लिए पर्याप्त दस्तावेज और गवाहियां हैं और उन्हें चारा घोटाले में सहआरोपी बनाया जाना चाहिए.

पिछले वर्ष 22 नवंबर को उच्च न्यायालय ने सीबीआई के हलफनामे के खिलाफ याचिकाकर्ता को अपना जवाबी हलफनामा (काउंटर एफिडेविट) दाखिल करने को कहा था और उन गवाहों और आरोपियों के नाम और बयान की सूची भी पेश करने को कहा था जिन्होंने नीतीश और शिवानंद के खिलाफ बयान दिये थे.



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