मुठभेड़ कांड : HC ने दो आदिवासियों का शव कब्र से निकालकर पोस्टमार्टम करने का आदेश दिया
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को दो आदिवासियों का शव कब्र से खोद कर निकालने और उनका फिर से पोस्टमार्टम करने को कहा है.
(फाइल फोटो) |
दरअसल, मृत आदिवासियों के रिश्तेदारों ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने नक्सली बता कर एक फर्जी मुठभेड़ में उनकी हत्या कर दी थी. याचिकाकर्ताओं के एक वकील अमरनाथ पांडे ने शुक्रवार को बताया, ‘न्यायमूर्ति गौतम भादुड़ी की एकल पीठ ने मृतकों के रिश्तेदारों द्वारा दायर एक रिट याचिका (आपराधिक) पर गुरुवार को आदेश जारी किया.’
रिश्तेदारों ने बताया कि बीजापुर जिले के गामपुद निवासी भीमा खादती और उनकी पुत्रवधु सुखमति हेमला 28 जनवरी को एक साइकिल पर सवार होकर पड़ोसी दंतेवाड़ा जिले में किरानदुल स्थित एक बाजार गए थे. लेकिन बाद में सूचना मिली कि वे दोनों फर्जी मुठभेड़ में मारे गए हैं. पांडे ने बताया कि पुलिस ने दावा किया कि दोनों नक्सली थे और 29 जनवरी को मुठभेड़ में मारे गए. इसके बाद, मृतकों के रिश्तेदारों ने याचिका दायर कर दावा किया कि वे लोग नक्सली नहीं थे और उनकी मुठभेड़ की योजना बनाई गई थी.
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी कभी नहीं दी गई. उनके मुताबिक पीयूसीएल बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय ने जो दिशानिर्देश तय किए थे उसके तहत शव परीक्षण जिला अस्पताल में दो चिकित्सकों द्वारा किया जाना चाहिए और इसकी वीडियोग्राफी की जानी चाहिए तथा उसे सुरक्षित रखा जाना चाहिए. लेकिन इस मामले में इसका पालन नहीं किया गया.
उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि कब्र से निकालकर शवों का दूसरा पोस्टमार्टम जिला अस्पताल में दो चिकित्सकों द्वारा एक हफ्ते के अंदर किया जाना चाहिए. इसके लिए जिला मुख्यालय जगदलपुर को प्राथमिकता दी जाए. वकील ने कहा कि इसके अलावा यह भी निर्देश दिया गया है कि प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाए और इसके बाद रिपोर्ट की प्रति उच्च न्यायालय को सौंपी जानी चाहिए. बहरहाल, इस मुद्दे की अगली सुनवाई चार हफ्ते बाद की रखी गई है.
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