जन्मांध बच्चों का भविष्य रौशन कर रहा छत्तीसगढ़ का एक किसान

Last Updated 30 Jun 2016 11:47:54 AM IST

छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में एक ऐसा स्कूल है जहां नेत्रहीन बच्चे नेत्रहीन शिक्षकों के हाथों अपना भविष्य संवार रहे हैं.




(फाइल फोटो)

जिले के एक किसान ने क्षेत्र के जन्मांध बच्चों को अपने पैरों पर खड़ा करने का बीड़ा उठाया है वह भी बगैर किसी सरकारी मदद के.

रायगढ़ शहर से लगभग 27 किलोमीटर दूर घरघोड़ा तहसील के अमलीडीह गांव में किसान बरूण कुमार प्रधान (56) जन्म से नेत्रहीन बच्चों के जीवन में रौशनी भर रहे हैं. प्रधान ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने बगैर सरकारी मदद के 30 नेत्रहीन बच्चों को रोजागारोन्मुखी शिक्षा देना शुरू किया है.

अमलीडीह में नेत्रहीन बाल विद्या मंदिर के संस्थापक बरूण कुमार प्रधान ने बताया कि वह चाहते हैं कि कोई भी नेत्रहीन बालक भीख नहीं मांगे और किसी भी नेत्रहीन बालिका के साथ ज्यादती न हो. सभी नेत्रहीन बच्चे आत्मनिर्भर हों.

प्रधान ने बताया कि जिले के इस एकमात्र नेत्रहीन आवासीय विद्यालय में इस वर्ष छह से 16 वर्ष तक की उम्र के 30 जन्मान्ध बच्चे हैं. यहां कक्षा एक से छह तक की पढ़ाई होती है. अब आठवीं कक्षा तक बढ़ाने की योजना है. यहां पांच वर्ष की उम्र से बच्चों को रखा जाता है.

उन्होंने बताया कि जुलाई से शुरू हो रहे नए सत्र में 60 बच्चों के आने की संभावना है. अधिकांश बच्चे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के हैं और रायगढ़, जशपुर जिले के हैं. इस स्कूल में पांच नेत्रहीन शिक्षक हैं.

प्रधान ने बताया कि उन्होंने स्वयं के दो लाख रुपये के खर्चे और दान दाताओं के सहयोग से बिना सरकारी मदद के अपनी बेटी के साथ मिलकर इस आवासीय नेत्रहीन स्कूल का संचालन शुरू किया है. प्रधान की बेटी हिमानी प्रधान (19) प्रधानाध्यापक हैं और वह स्वयं भी संस्था की छात्रा है.

उन्होंने बताया कि इन नेत्रहीन बच्चों को प्रतिदिन छह घंटे की शिक्षा के साथ-साथ दो-दो घंटों की खेलकूद और संगीत की शिक्षा भी दी जाती है, जिससे यह आत्मनिर्भर बन सकें. इस स्कूल में छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मण्डल का पाठ्यक्रम लागू है और यहां ब्रेल लिपि में पढ़ाया जाता है.

स्कूल में सबसे छोटी छह वर्षीय बालिका खगेश्वरी यादव और 11 वर्ष के अजय मेहर ने बताया कि वह नेत्रहीन स्कूल में टीचर बनना चाहते हैं.

वर्ष 2014 से प्रारंभ हुए इस पंजीकृत स्कूल को चलाने की प्रेरणा प्रधान को अपने भाई की नेत्रहीन बच्ची से मिली और उन्होंने अपने आस पास के ऐसे बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा उठा लिया.



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment