छत्तीसगढ़ में सोशल मीडिया से भी लड़ी गई अविश्वास के खिलाफ जंग

Last Updated 30 Jul 2015 04:36:45 PM IST

सोशल मीडिया के जरिए विधानसभा के बाहर भी अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ जंग लड़ी जा सकती है ऐसा अभिनव प्रयोग करने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य बन गया है.




छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह (फाइल फोटो)

राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस द्वारा सत्तारूढ़ डॉ रमन सिंह सरकार के खिलाफ दो दिन पूर्व विधानसभा में लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के खिलाफ सत्तारूढ़ दल के पक्ष में राज्य के जनसम्पर्क विभाग ने ऐसी कामयाब रणनीतिक लड़ाई सोशल मीडिया के जरिए लड़ी कि विपक्ष ही नहीं सत्ता पक्ष को भी आवाक कर दिया. सोशल मीडिया के जानकार भी इस तरह के प्रयोग को लेकर अचंभित है.

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नान घोटाले को लेकर पिछले कुछ दिनों से आक्रामक रूख अख्तियार अपना रखे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने जब विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया तभी इसका सत्ता पक्ष की ओर से सदन से बाहर माकूल जवाब देने की रणनीति पर काम जनसम्पर्क विभाग के सचिव गणेशशंकर मिश्रा ने शुरू कर दिया.

सूत्रों के अनुसार मिश्रा ने इस बारे में विभागीय आला और युवा अधिकारियों के साथ खाका ही तैयार नहीं किया बल्कि इस व्यूह रचना में मुख्यमंत्री सचिवालय के मुख्य कर्ताधर्ता आला अफसरों से भी सहमति ली. इसके लिए मुख्य रूप से वार रूम बनाने और सत्ता पक्ष के पक्ष में होने वाले हर भाषण को तुरन्त मीडिया और आम लोगों तक पहुंचाने का निर्णय हुआ. 

सूत्रों के अनुसार मिश्रा ने विभागीय अधिकारियों से कहा कि विपक्ष की नकारात्मक खबरें ज्यादा स्थान पा जाती है इस कारण मीडिया को सत्ता पक्ष की बात को रेडीमेड मुहैया करवाने से लाभ मिल सकता है. इसके साथ ही सदन में भाषण देने वाले मंत्रियों और विधायकों के भी इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तुरन्त बाइट करवाने का निर्णय हुआ.

रणनीति के अनुसार अविश्वास पर चर्चा शुरू होते ही 24 जुलाई से वार रूम ने काम करना शुरू कर दिया. वार रूम की कमान स्वयं सचिव मिश्रा ने संभाला और अपर संचालक संयुक्त और उप संचालकों और समाचार विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की पूरी टीम इसमें झोंक दी गई. सोशल मीडिया के विशेषज्ञों की आउटसोर्सिंग की गई इसके साथ ही टाइपिस्ट और कम्प्यूटर ऑपरेटर भी लगाए गए. पूरी रणनीति गोपनीय रखी गई.

अविश्वास पर सत्ता पक्ष के पहले वक्ता कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने जैसे ही अपना सम्बोधन शुरू किया कुछ ही क्षण बाद उसके अंश सोशल मीडिया में आने शुरू हो गए. पहले तो लगा कि किसी पत्रकार द्वारा ही ऐसा किया जा रहा है पर बाद में अनवरत यह सिलसिला जारी रहा तब लगा कि रणनीतिक रूप से काम हो रहा है.

रणनीति के अनुसार आई पैड और आधुनिक मीडिया से संसाधनों से लैस जनसम्पर्क अधिकारी सदन के पक्ष में होने वाले भाषण के अंश तुरन्त वार रूम पहुंचाते और फिर वहां से आम लोगो और मीडिया को वह पहुंच जाता. वार रूम अविश्वास पर वोटिंग तक अनवरत काम करता रहा. छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य की विधानसभा की कार्यवाही का कोई चैनल सजीव प्रसारण नहीं करता. पर जिस तरह से सोशल मीडिया के जरिए यह प्रयोग हुआ वह कहीं नायाब था.

दरअसल कभी देश के तेज तर्रार जनसम्पर्क में शुमार किए जाने वाले छत्तीसगढ़ के जनसम्पर्क विभाग की स्थिति पिछले दो वर्षों से बहुत खराब रही है. अपर सचिव मुख्यमंत्री बैजेन्द्र कुमार और प्रमुख सचिव अमन सिंह जब तक विभाग को सीधे देखते रहे. इसकी अलग पहचान रही. मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के तीसरी बार सत्ता में आने से पहले ही कुमार ने विभाग से दूरी बना ली थी. जबकि सत्ता में आने के बाद अमन सिंह ने कुछ पसंदीदा राष्ट्रीय अंग्रेजी अखबारों को छोड़ शेष से दूरी बना ली.

सोनमणि बोरा के जनसम्पर्क संचालक बनने के साथ विभाग की स्थिति खराब होना शुरू हुई और ओ पी चौधरी और रजत कुमार तक यह सिलसिला चलता रहा.

सूत्रों के अनुसार इन सभी की कोशिश कलेक्टर बनने की थी लिहाजा उन्होंने यह सोचकर मनमानी की कि शिकायत पर उन्हें वहां से हटा दिया जायेगा. यह भी माना गया कि चुनाव दूर है इस कारण विभाग पर ध्यान देना जरूरी नहीं है. इसी बीच नान घोटाले का मामला आया. तब मीडिया में पैठ रखने वाले अधिकारी मिश्रा को लाया गया. पहले सरकारी तंत्र ही नहीं मीडिया के एक वर्ग में उन्हें लेकर तमाम चर्चाएं रहीं पर अविश्वास पर सोशल मीडिया के इनके प्रयोग और वार रूम की रणनीति ने सभी को अचंभित कर दिया. 



Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment