रावत ने पूरे देश में जलविद्युत परियाजनाओं के लिये एकसमान नियमों की वकालत की
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में पूरे भारत के लिये समान नियमों की वकालत की.
जलविद्युत परियाजना पर बने एक समान नियम (फाइल फोटो) |
देहरादून में मुख्यमंत्री ने कहा कि इस पर उनकी सरकार ने उच्चतम न्यायालय में अपना पक्ष पूरी मजबूती के साथ रखा है.
यहां मीडिया से अनौपचारिक बातचीत करते हुए रावत ने कहा, ‘उत्तराखंड में जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर एक मिथक सा बना दिया गया है. यह कैसे हो सकता है कि उत्तराखंड के लिए अलग तर्क व नियम हो जबकि हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर सहित शेष भारत के लिए अलग नियम हो. जो नियम उत्तराखंड के लिए बनाया जाएगा वहीं पूरे भारत के लिए होना चाहिए.’
इस संबंध में रावत ने कहा कि राज्य में जलविद्युत परियोजनाओं के संबंध में सर्वोच्च न्यायालय में पूरी मजबूती से राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखा है.
उत्तराखंड को ‘पर्यावरण की परीक्षण-भूमि’ बनाने की लोगों की चर्चा पर मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ऐसे लोगों से हम विनम्रता के साथ कहना चाहेंगे कि देश दुनिया को अमूल्य पर्यावरण सेवाएं देने वाले उत्तराखंड में पर्यावरण की रक्षा में योगदान बड़े-बड़े शहरों में रहने वालों का नहीं बल्कि यहां के गांवों में रहने वाले हमारे भाई बहिनों का है.’
आगामी 21 अप्रैल से शुरू हो रही चारधाम यात्रा के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि तमाम विपरीत परिस्थितियों में भी लोग काम कर रहे हैं और सात-आठ फूट बर्फ में काम करने वालों को प्रोत्साहित किए जाने की जरूरत है.
रावत ने कहा, ‘केवल टीका-टिप्पणी करके लगातार काम कर रहे हमारे लोगों का मनोबल नहीं गिराया जाना चाहिए. हमने वैकल्पिक योजनाएं भी तैयार कर रखी हैं. चारधाम यात्रा को लेकर हमने पूरी तैयारियां कर रखी हैं.’
सरकारी आयोजनों में कटौती के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य इस समय बेमौसमी बारिश के कारण भीषण कृषि संकट जूझ रहा है और ऐसे में हम अपने किसान भाइयों को हर सम्भव राहत पहुंचाना चाहते हैं.
उन्होंने कहा कि केंद्र से भी किसानों की मदद का अनुरोध किया गया है। राज्य सरकार अपने स्तर पर काश्तकारों को सहायता उपलब्ध करवाने के लिए कोई कमी नहीं रखेगी। हमारी कोशिश किसानों को कम सेकम इतनी मदद करने की है कि वे अपनी अगली फसल की तैयारी कर सकें.
प्रदेश में बिजली की दरों में इजाफा के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि बिजली की दरें विद्युत नियामक आयोग निर्धारित करता है न कि राज्य सरकार. बहरहाल, उन्होंने कहा कि अब भी उत्तराखंड में बिजली की दरें महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा से काफी कम है.
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