सड़क निर्माण के लिए सीआरपीएफ ने मांगा ग्रामीणों का सहयोग
छत्तीसगढ़ में माओवादियों द्वारा विकास का विरोध और सड़कों को नुकसान पहुंचाने की घटनाओं को देखते हुए अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने बस्तर क्षेत्र के ग्रामीणों से सड़क निर्माण में सहयोग देने की अपील की है.
(फाइल फोटो) |
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की सुकमा-कोंटा सड़क पर पहुंचते ही सड़क के दोनों ओर गोंडी बोली और हिंदी में सीआरपीएफ के अपील वाले पोस्टर नजर आते हैं.
इन पोस्टरों में सीआरपीएफ ने क्षेत्र के आदिवासी ग्रामीणों से अपील की है कि वे राष्ट्रीय राजमार्ग 30 की इस महत्वपूर्ण सड़क के निर्माण में सहयोग करें और क्षेत्र के विकास में भागीदारी निभाएं.
राज्य का सुकमा जिला देश के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित जिलों में से एक है और नक्सलियों ने इस क्षेत्र में कई बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया है. नक्सली यहां सड़क निर्माण नहीं होने देना चाहते जिससे इस क्षेत्र में विकास रूक गया है.
राष्ट्रीय राजमार्ग 30 देश के महत्वपूर्ण राजमार्गों में से एक है और यह छत्तीसगढ़ को आंध्रप्रदेश से जोड़ता है. लेकिन सुकमा जिले में यह सड़क नजर नहीं आती और यहां केवल बड़े बड़े गड्डे ही दिखाई देते हैं. ऐसे में राज्य सरकार के लिए इस क्षेत्र में विकास का कार्य कराना मुश्किल और चुनौती भरा है.
सीआरपीएफ की दूसरी बटालियन के कमांडेट वीवीएन प्रसन्ना का कहना है कि इस क्षेत्र के विकास में सबसे बड़ी बाधा है नक्सल समस्या. यहां नक्सली सड़क निर्माण नहीं होने देना चाहते हैं जिससे क्षेत्र का विकास नहीं हो पा रहा है. ऐसे में सीआरपीएफ ने क्षेत्र के विकास के लिए ग्रामीणों का ही सहयोग मांगा है. यही कारण है कि सड़क के किनारे गोंडी और हिंदी में पोस्टर लगाए गए हैं.
पोस्टर में लिखा गया है ‘विकास की सभी इमारतें सड़क से प्रारंभ होती हैं, अत: सड़क निर्माण में सहयोग कर खुद को विकास के पथ पर अग्रसर करें.’
प्रसन्ना का कहना है कि नक्सली सड़क निर्माण का विरोध इसलिए करते हैं कि उन्हें डर है कि विकास होने से ग्रामीण उनके नहीं बल्कि शासन के साथ होंगे. इसलिए वे ग्रामीणों को यह कहकर बरगलाने की कोशिश करते हैं कि सड़क निर्माण से उनकी संस्कृति खतरे में पड़ जाएगी. वहीं सड़कों के आने के बाद सरकार उनकी जमीन छीन लेगी.
कमांडेंट प्रसन्ना का कहना है कि ग्रामीणों को ज्यादा दिनों तक नक्सली बरगला नहीं सकते हैं क्योंकि वे जानते हैं कि क्षेत्र में बेहतर विकास बेहतर सड़क के माध्यम से ही आएगा. गोंडी बोली में पोस्टर लगाने को लेकर प्रसन्ना कहते हैं कि गोंडी क्षेत्र में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली बोली है. सीआरपीएफ चाहती है कि इस संदेश को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाया जाए.
अधिकारी ने बताया कि इसके साथ ही ग्रामीणों के साथ बैठक कर भी उनसे अपील की गई है कि वे सड़क निर्माण में सहयोग दें जिसका असर भी दिखा है. ग्रामीणों ने सीआरपीएफ को सहयोग देने की बात कही है.
प्रसन्ना ने बताया कि नक्सल प्रभावित होने के कारण क्षेत्र में सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है और रखरखाव में भी परेशानी आ रही है. क्षेत्र की सड़कों में नक्सली अक्सर बारूदी सुरंग लगाकर नुकसान पहुंचाते हैं और हालत यह है कि इस राष्ट्रीय राजमार्ग में बरसात के दिनों में केवल दोपहिया वाहन से ही आवाजाही की जा सकती है.
पिछले वर्ष मार्च महीने में नक्सलियों ने क्षेत्र के तोंगपाल के करीब पुलिस दल पर हमला कर 16 लोगों की हत्या कर दी थी जिसमें सीआरपीएफ के 11 जवान, जिला पुलिस बल के चार जवान और एक ग्रामीण शामिल है. नक्सलियों ने यह हमला उस समय किया था जब पुलिस दल सड़क निर्माण के दौरान सुरक्षा में लगे थे.
पिछले वर्ष मुख्यमंत्री रमन सिंह की अध्यक्षता में हुई यूनिफाइड कमांड की बैठक में कहा गया था कि रायपुर से कोंटा तक जाने वाली इस सड़क के निर्माण की सुरक्षा सीआरपीएफ करेगी. अब सीआरपीएफ ने इसकी सुरक्षा के लिए ग्रामीणों से सहयोग मांगा है.
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