थम गया बिहार विधानसभा के 49 क्षेत्रों में प्रचार का शोर

Last Updated 10 Oct 2015 06:56:10 PM IST

बिहार विधानसभा की 243 में से 49 सीट पर प्रथम चरण में 12 अक्टूबर को जहां मतदान होना होना है वहां शनिवार शाम से चुनाव प्रचार का शोर थम गया और अब प्रत्याशी जनसम्पर्क में लग गये हैं.


बिहार विधानसभा के 49 क्षेत्रों में प्रचार का शोर थमा (फाइल फोटो)

राज्य के अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आर लक्ष्मणन ने बताया कि मुंगेर जिले के तारापुर, जमालपुर,लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा, नवादा के रजौली, गोविंदपुर, सकिंदरा (सु), जमुई, झाझा और चकाई में शाम तीन बजे, खगड़यिा जिले के अलौली, बेलदौर तथा बांका जिले के कटोरिया और बेलहर विधानसभा क्षेत्र में शाम चार बजे जबकि अन्य  36 क्षेत्रों में शाम पांच चुनाव प्रचार समाप्त हो गया.

श्री लक्ष्मणन ने बताया कि 12 अक्टूबर को 49 सीट के लिए प्रथम चरण में होने वाले चुनाव मंप 586 उम्मीदवारहैं.उन्होंने बताया कि सबसे अधिक 18-18 प्रत्याशी मोहिउद्दीननगर और मोरवा में हैं जबकि सबसे कम छह प्रत्याशी वारिसलीगंज में चुनाव लड़ने के लिए उतरे हैं.

प्रथम चरण में जिन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है, उनमें जनता दल यूनाइटेड (जद यू )के उम्मीदवार राज्य के जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी (सरायरंजन), समाज कल्याण मंत्री दामोदर रावत(झाझा) , पूर्व सांसद सुबोध राय (सुल्तानगंज) , पूर्व सांसद गिरधारी यादव (बेलहर) , कांग्रेस के उम्मीदवार और बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष सदानंद सिंह (कहलगांव) , पूर्व मंत्रीराम देव राय (बछवारा), डा0 अशोक कुमार (रोसड़ा) , राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के उम्मीदवार और पूर्व मंत्री श्रीनारायण यादव(साहेबपुर कमाल) ,भारतीय जनता पार्टी (भाजा) की उम्मीदवार और पूर्व मंत्री रेणु कुशवाहा (समस्तीपुर), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस (अलौली) , राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के नेता और पूर्व सांसद भूदेव चौधरी (धोरैया) तथा हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री शकुनी चौधरी (तारापुर) शामिल हैं.

चुनाव आयोग के कड़े निर्देश के कारण इस बार प्रचार में ताम-झाम और लाऊडस्पीकरों का शोर भी कम रहा. प्रमुख दलों के वरिष्ठ नेता जहां हेलीकॉप्टरों से बड़ी सभाओं को संबोधित कर रहे थे वहीं दूसरी कतार के नेता छोटी और नुक्कड़ सभाओं के जरिये मतदाताओं को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगे रहे.

इस बार के चुनाव प्रचार में नेताओं ने भाषा का संयम तोड़ा जिसके कारण राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव , जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी के खिलाफ भी आचार संहिता उल्लंघन का मामला दर्ज हुआ .

प्रचार के दौरान भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने बिहार की विधि -व्यवस्था और पिछड़ेपन को मुद्दा बनाते हुए इस चुनाव को जंगल राज बनाम विकास राज की लड़ाई बताया.वहीं राजद ने इस चुनाव को अगड़ी जाति बनाम पिछड़ी जाति की लड़ाई बताया है.

जदयू और कांग्रेस ने सीधे तौर पर केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला करते हुए जनता को अगाह किया कि भाजपा के लोग चुनाव में वादे करते है लेकिन चुनाव के बाद उसे पूरा नहीं करते है इसलिये भाजपा पर भरोसा करने के बजाये वे उसे वोट दें जिसने काम करके दिखाया है .


 



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