बांका में नमो के सहारे जंग जीतने की कवायद

Last Updated 02 Oct 2015 05:44:47 AM IST

प्रधानमंत्री व भाजपा के आईकॉन नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को बांका में चुनावी जनसभा को संबोधित करेंगे.


प्रधानमंत्री व भाजपा के आईकॉन नरेन्द्र मोदी

मंडल व कमंडल की लड़ाई के बीच प्रधानमंत्री व भाजपा के आईकॉन नरेन्द्र मोदी शुक्रवार को बांका में जनसभा को संबोधित कर प्रथम चरण के सबसे कठिन समीकरण वाले जिलों के विधानसभा में स्थिति मजबूत करने के जंग का एलान करेंगे.

वजह भी साफ है कि इस जनसभा से बांका व जमुई जिले के नौ विधानसभा क्षेत्रों में जीत का रंग भरने के लिए प्रयासरत भाजपा की स्थितियां इन जिलों में अच्छी नहीं है.  मंडल प्रभावित इस क्षेत्र को देख कर यह माना जा रहा है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान के बाद राज्य में आरक्षण को लेकर छिड़ी बहस के बीच प्रधानमंत्री मोदी इस पक्ष को मजबूत अंदाज में रख सकते हैं.

खासकर उन स्थितियों को ध्यान में रख कर जब मंडल युग के नायक लालू प्रसाद व नीतीश कुमार इस जंग को भाजपा की आरक्षण खत्म करने की नीति से जोड़ कर जीत के समीकरण को बहाल करने में लगे हैं. प्रधानमंत्री के भाषण के निशाने पर ‘जंगल राज’ की अवधारणा भी रहेगी. 

बांका से नमो की चुनावी जनसभा की शुरुआत भाजपा की विवशता भी है. वह भी इसलिए क्योंकि नमो रंग में रंगने की शुरु आत बांका के आस-पास विधानसभा क्षेत्रों से शुरू हुई तो आगे की जंग थोड़ी आसान हो जायेगी. जाहिर है मंडल प्रभावित इस क्षेत्र की स्थिति यह है कि नौ विधानसभा क्षेत्रों में वर्ष 2010 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के हिस्से महज एक सीट (कटोरियां) ही आई थी.

इस सीट पर सोनेलाल हेमब्रम ने राजद उम्मीदवार को लगभग 9 हजार मतों से परास्त किया था. इस बार यह जंग उनकी पुत्रवधु निक्की हेम्ब्रम लड़ने जा रही हैं. बांका विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा की स्थिति बेहतर नहीं रही है. यहां के चुनाव में रस्साकशी का अनुभव दोनों प्रमुख उम्मीदवारों को रहा है. यही वजह भी है कि भाजपा के पूर्व मंत्री रामनारायण मंडल वर्ष 2010 के विधानसभा का चुनाव हार गये, मगर बाद में हुए उपचुनाव में यह सीट राजद उम्मीदवार जावेद इकबाल अंसारी को हरा कर भाजपा के रामनारायण मंडल ने जीत तो ली मगर वह भी महज 400 वोटों के अंतर से. 

इस बार भी भाजपा उम्मीदवार श्री मंडल की टक्कर राजद के जफरू होदा के साथ है.  बांका जिले के अमरपुर विधानसभा क्षेत्र का हाल यह है कि यह सीट जदयू के कब्जे में रही है. भाजपा यहां से चुनाव इस बार लड़ने जा रही है. भाजपा ने यहां से मृणाल शेखर को चुनावी जंग में उतारा है. जदयू के उम्मीदवार जनार्दन मांझी इनके विरुद्ध खम ठोक चुके हैं. जदयू की इस सीटिंग सीट पर राजद के साथ से मुकावला तनातनी का बन चुका है.

बेलहर भी जदयू की सीटिंग सीट है. यहां से भाजपा ने मनोज यादव को उतारा है. इनका मुकावला गिरधारी यादव से है, जिन्होंने गत चुनाव में जीत हासिल की है. जमुई जिले के चार विधानसभा  क्षेत्रों का हाल यह है कि भाजपा की यहां एक भी सीट हासिल नहीं हो पायी. 

जमुई की चार विधानसभा सीटों पर तीन जदयू व तो एक झामुमो के कब्जे में है, मगर इस बार एक बेहतर स्थिति यह है कि जमुई के नेता नरेन्द्र सिंह के जदयू से अलग होने के कारण भाजपा ने जमुई से सीटिंग विधायक  अजय प्रताप सिंह को अपना उम्मीदवार बना डाला  है. 

राजद ने अपने पुराने प्रत्याशी व पूर्व केंद्रीय मंत्री जयप्रकाश नारायश यादव के भाई विजय प्रकाश को ही उतारा है.  झाझा विधानसभा क्षेत्र भी जदयू की सीटिंग सीट है. यहा से विधायक रहे दामोदर रावत नीतीश कुमार के कैबिनेट में भी रह चुके हैं. इनके मुकावले भाजपा ने रविन्द्र यादव को उतारा है.

चकाई व सकिंदरा सीटें भाजपा ने लोजपा के खाते में दे दी हैं. इन सब स्थितियों के बीच भाजपा को इन जिलों में अपनी उपस्थिति दर्ज करना एक महत्वपूर्ण चुनौती बन चुका है. इसी के समाधान ने अपने स्टार प्रचारक नमो पर जीत का दांव लगाया है.

चंदन
एसएनबी


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