जीतनराम मांझी ने किया आत्मसमर्पण, जमानत पर छूटे
प्रतिबंधित क्षेत्र में जुलूस निकालने और मार्ग अवरुद्ध करने के एक मामले में सोमवार को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने सांसदों एवं विधायकों के मामलों की सुनवाई के लिए पटना में गठित एक विशेष अदालत में आत्मसमर्पण किया, जहां बाद में उन्हें जमानत पर मुक्त कर दिया गया।
![]() बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी |
विशेष अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आदिदेव की अदालत में आत्मसमर्पण और जमानत याचिका दाखिल कर मांझी की ओर से कहा गया कि इस मामले के आरोप की धाराएं जमानती हैं और मांझी पूर्व से पुलिस द्वारा दी गई जमानत पर हैं और उन्होंने जमानत का दुरुपयोग नहीं किया है।
मांझी की ओर से उन्हें जमानत पर मुक्त करने की प्रार्थना की गई थी। प्रार्थना स्वीकार करते हुए अदालत ने मांझी को 10 हजार रुपए के निजी मुचलके के साथ उसी राशि के एक जमानतदार का बंध-पत्र (बॉन्ड पेपर) दाखिल करने पर जमानत पर मुक्त किए जाने का आदेश दिया।
मामला वर्ष 2020 का है। आरोप के अनुसार, 29 जनवरी 2020 को अलग-अलग राजनीतिक पार्टियों के सैकड़ों लोगों ने एनआरसी और सीएए के विरोध में पटना के डाकबंगला चौराहे पर जुलूस की शक्ल में इकट्ठा होकर मार्ग को अवरुद्ध कर दिया एवं आवागमन ठप कर दिया था जिसमें जीतनराम मांझी के अलावा अन्य नेता भी शामिल थे।
पुलिस ने इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कर मांझी समेत 10 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।
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