प्रशांत किशोर ने सुशील मोदी पर कसा तंज, कहा- लोगों को चरित्र प्रमाण-पत्र देने में उनका कोई तोड़ नहीं
बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के नेता एवं चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने आज एक बार फिर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर तंज कसते हुए कहा कि चरित्र प्रमाण-पत्र देने में मोदी का कोई जोड़ नहीं है।
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किशोर ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के खिलाफ भाजपा के वरिष्ठ नेता मोदी का एक वीडियो और अब उनके समर्थन में दिए गए बयान को पोस्ट कर कहा, लोगों को कैरेक्टर सर्टिफिकेट देने में सुशील कुमार मोदी जी का कोई जोड़ नहीं है। देखिए पहले बोलकर बता रहे थे और अब उप मुख्यमंत्री बना दिए गए तो लिखकर दे रहे हैं। इनकी क्रोनोलॉजी भी बिल्कुल स्पष्ट है।
लोगों को character certificate देने में @SushilModi जी का कोई जोड़ नहीं है।
— Prashant Kishor (@PrashantKishor) January 25, 2020
देखिए पहले बोल कर बता रहे थे और अब DY CM बना दिए गए तो लिख कर दे रहे हैं इनकी क्रोनोलॉजी भी बिल्कुल क्लीयर है!! https://t.co/5WwkNXe5IG pic.twitter.com/q9LjnipQMi
जदयू नेता की ओर से पोस्ट किए गए वीडियो जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के साथ नीतीश कुमार के सरकार बनाने के बाद मोदी कह रहे हैं, नीतीश कुमार अपने आप को बिहार का पर्याय समझने लगे हैं। वह खुद को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह ‘इंदिरा भारत है और भारत इंदिरा’ नीतीश बिहार है और बिहार नीतीश तो अब वह जमाना चला गया है। नीतीश के डीएनए में विासघात है, धोखाधड़ी है। उन्होंने जीतनराम मांझी को, 17 साल की दोस्ती के बाद भाजपा को और बिहार के लोगों के जनादेश को धोखा दिया। इस व्यक्ति ने शिवानंद तिवारी, जॉर्ज फर्नांडिस से लेकर लालू यादव तक के साथ विासघात किया है। यह विासघात और धोखाधड़ी नीतीश कुमार का डीएनए है न कि बिहार के लोगों का।
वहीं किशोर ने मोदी के दो दिन पूर्व किए गए उस ट्वीट को भी पोस्ट किया, जिसमें कहा गया, नीतीश कुमार जी के साथ यह विडंबना अक्सर होती है कि अपनी उदारतावश वे जिनको फर्श से उठाकर अर्श पर बैठाते हैं वे ही उनके लिए मुसीबत बनने लगते हैं। उन्होंने किसी को अपनी कुर्सी दी, कितनों को राज्यसभा का सदस्य बनवाया, किसी को गैर राजनीतिक गलियों से उठाकर संगठन में ऊंचा ओहदा दे दिया लेकिन इनमें से कुछ लोगों ने थैंकलेस होने से गुरेज नहीं किया। राजनीति में भी हमेशा सब जायज नहीं होता।
गौरतलब है कि संसद के दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को जदयू के समर्थन देने पर खुलकर नाराजगी जताने के बाद अब राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) का विरोध कर रहे श्री किशोर किसी न किसी बहाने मोदी के निशाने पर रहे हैं।
इससे पूर्व भी श्री मोदी ने पिछले वर्ष 30 दिसंबर को किशोर पर हमला बोला और कहा था, ‘‘वर्ष 2020 का बिहार विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना तय है। सीटों के तालमेल का निर्णय दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व समय पर करेगा। कोई समस्या नहीं है। लेकिन, जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं बल्कि चुनावी डाटा जुटाने और नारे गढ़ने वाली कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरुद्ध बयानबाजी कर विरोधी गठबंधन को फायदा पहुंचाने में लगे हैं। एक लाभकारी धंधे में लगा व्यक्ति पहले अपनी सेवाओं के लिए बाजार तैयार करने में लगता है, देशहित की चिंता बाद में करता है।
इसपर श्री किशोर ने अगले ही दिन पलटवार किया और कहा, ‘‘बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नेतृत्व और जदयू की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय किया है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं।’’ वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी परिस्थितिवश उप मुख्यमंत्री बनने वाले सुशील कुमार मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है।’’
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