बिहार में अन्न भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए 1000 करोड़ का निवेश करेगी केन्द्र सरकार
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के महाप्रबंधक संदीप कुमार पांडेय ने आज बताया कि बिहार में सात लाख मीट्रिक टन अन्न भंडारण क्षमता की वृद्वि के लिए अत्याधुनिक भंडार गृहों (साइलो) का निर्माण कराया जायेगा।
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भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के महाप्रबंधक संदीप कुमार पांडेय ने आज बताया कि बिहार में सात लाख मीट्रिक टन अन्न भंडारण क्षमता की वृद्वि के लिए अत्याधुनिक भंडार गृहों (साइलो) का निर्माण कराया जायेगा।
उन्होंने बताया कि कटिहार में करीब 50 करोड़ रुपये की लागत से 50 हजार मीट्रिक टन क्षमता का अत्याधुनिक भंडारण गृह का निर्माण कार्य प्रगति पर है जबकि बक्सर और कैमूर जिले में अत्याधुनिक साइलो का निर्माण कार्य शीघ शुरू होने वाला है।
श्री पांडेय ने बताया कि आर्थिक मामले विभाग के सहयोग से संचालित हो रही इस परियोजना में बिहार के कई अन्य जिले भी लाभान्वित होंगे।
बक्सर और कैमूर जिले में 50-50 करोड़ रुपये की लागत से साढ़े बारह हजार मीट्रिक टन चावल भंडारण क्षमता वाले बेहद अत्याधुनिक वातानुकूलित भंडारण गृह तथा अन्य अनाजों के लिये भंडारण गृह का निर्माण कराया जाएगा। यह संभवत: चावल के लिए देश के पहले अत्याधुनिक भंडारण गृह होंगे।
एफसीआई के महाप्रबंधक ने बताया कि केन्द्र सरकार के खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान की विशेष पहल पर यह योजना इन तीन जिलों के अतिरिक्त सारण, पश्चिम चंपारण, भागलपुर, दरभंगा, समस्तीपुर, वैशाली और खगड़िया जिलों में भी ली जा चुकी है और यहां भी निर्माण कार्य जल्द प्रारंभ होगा।
इन सभी जिलों में प्रारंभिक दस्तावेजी तथा निविदा प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। बक्सर और कैमूर में जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया भी पूरी हो गयी है।
श्री पांडेय ने बताया कि इन सभी परियोजनाओं के पूरा होने के बाद बिहार में एफसीआई के भंडारण गृहों की क्षमता आठ लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 17 लाख मीट्रिक टन हो जाएगी, जिससे किसानों द्वारा बिहार में उत्पादित अनाज अच्छी तरह से और सुरक्षित रूप से भंडारित हो पाएगा।
बिहार में अभी अनाजों के रखने के लिए भंडारण क्षमता कम है, जिससे किसानों को परेशानी और नुकसान होता है लेकिन अब साइलो प्रोजेक्ट के बन जाने से किसानों की परेशानी दूर हो जाएगी और उन्हें काफी लाभ पहुंचेगा।
एफसीआई के महाप्रबंधक ने बताया कि साइलो के निर्माण में तुर्की और ब्राजील में विशेष तौर से तैयार इस्पात का इस्तेमाल किया जाएगा, जिसमें सौ साल तक की अवधि के लिए जंग नहीं लगेगी। परियोजना के निर्माण में देशी और विदेशी तकनीक का इस्तेमाल होगा। इसकी वजह से प्रत्येक साइलो में अनाज की बबार्दी का प्रतिशत बिल्कुल नगण्य होगा और अनाज पूरी तरह सुरक्षित रहेगा। अनाज की पैकिंग तक मैकेनिकल तरीके से होगी।
श्री पांडेय ने बताया कि इस योजना में उत्तर बिहार पर विशेष ध्यान दिया गया है क्योंकि यहां पहले से भंडारण क्षमता कम थी। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में बाढ़ की भी आपदा रहती है। ऐसी स्थिति में इन साइलो से पीड़ितों को राहत पहुंचाने में मदद मिलेगी।
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