जदयू का दो फोड़ होना तय, शरद यादव जदयू के समानांतर करेंगे बैठक

Last Updated 18 Aug 2017 05:43:16 PM IST

बिहार में राजद और कांग्रेस के साथ बने महागठबंधन से अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाने के नीतीश कुमार के फैसले के बाद बागी हुये जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने कल पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जाने की बजाय पटना में ही समानांतर बैठक की घोषणा की है जिससे जदयू में टूट तय मानी जा रही है.


नीतीश कुमार और शरद यादव (फाइल फोटो)

मुख्यमंत्री एवं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कल पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है जिसमें शरद यादव को भी शामिल होने के लिए न्यौता दिया गया था. इस बैठक में जदयू के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होने के फैसले पर मुहर लगाई जाएगी. इसके अलावा अन्य मुद्दों पर भी विचार-विमर्श होगा. वहीं, महागठबंधन से नाता तोड़ने से नाराज चल रहे यादव ने राजधानी पटना में ही अपने समर्थकों के साथ अलग बैठक बुलाई है जिसमें वह अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे.

जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक कल सुबह 10 बजे मुख्यमंत्री आवास एक अणो मार्ग में होगी और इसके बाद 12 बजे राष्ट्रीय परिषद् की बैठक होगी. इन दोनों बैठक के बाद रवींद्र भवन में तीन बजे पार्टी का खुला अधिवेशन होगा. वहीं शरद गुट की बैठक श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में होगी.

राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार, कल मुख्यमंत्री आवास पर हो रही जदयू की बैठक में बागी शरद यादव और उनके समर्थकों को पार्टी से निष्कासित किया जा सकता है. वहीं, दूसरी ओर शरद गुट खुद को वास्तविक जदयू घोषित करने के बाद  नीतीश कुमार और उनके समर्थकों को पार्टी से निष्कासित करने की कार्रवाई कर सकता है. इसके बाद शरद गुट पार्टी का नाम और चुनाव चिह्न के लिए चुनाव आयोग के पास दावा करेगा.

इससे पहले महागठबंधन से जदयू के अलग होने के फैसले का शरद यादव के अलावा राज्यसभा सदस्य अली अनवर और वीरेंद्र कुमार ने खुलकर विरोध किया था. इसके बाद पार्टी ने 11 अगस्त को अनवर को पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त रहने के कारण निलंबित कर दिया. इसके दूसरे दिन ही शरद यादव को भी राज्यसभा में पार्टी के नेता पद से हटाकर उनके स्थान पर आर. सी. पी. सिंह को नेता बना दिया था.

इसके बाद शरद यादव ने तीन दिनों तक बिहार के अलग-अलग जिले का दौरा किया और नीतीश कुमार के खिलाफ जमकर आरोप लगाये. इस दौरान उनके साथ रहे पूर्व मंत्री रमई राम और पूर्व सांसद अर्जुन राय समेत 21 नेताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया गया.



जदयू के महासचिव पद से हाल ही में हटाये गये और यादव के करीबी अरुण श्रीवास्तव ने नाराजगी जाहिर करते हुये आज कहा, पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार ने न केवल मुझे महासचिव पद से हटाया बल्कि अली अनवर अंसारी को राज्यसभा में पार्टी के उप नेता और यादव को सदन में दल के नेता पद से हटा दिया जबकि वह पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष हैं. हम लोग तो पहले पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भाग लेना चाहते थे और अपनी बात कहना चाहते थे लेकिन चूंकि कुमार ने हम तीनों को बिना कोई नोटिस दिये हटा दिया इसलिए अब हमने कार्यकारिणी का बहिष्कार कर पटना में अपना सम्मेलन करने का निर्णय लिया है.

श्रीवास्तव ने कहा कि समता पार्टी, लोकशक्ति पार्टी तथा शरद यादव के जनता दल का विलय होने के बाद जनता दल यूनाइटेड का गठन हुआ था और उस समय नीतीश कुमार समता पार्टी में थे इसलिए इस पार्टी के सबसे पुराने सदस्य और संस्थापक यादव ही हैं और इस लिहाज से 'हम ही लोग वास्तविक जनता दल हैं’ इसलिए हमलोग चुनाव आयोग का दरवाजा खटखटाएंगे कि पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह ‘तीर’ हमें ही दिया जाए.'

उल्लेखनीय है कि वर्ष 1999 के आम चुनाव में कर्नाटक के तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. एच. पटेल के नेतृत्व में जनता दल के एक गुट ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को समर्थन दे दिया. इसके बाद जनता दल दो हिस्सों में बंट गया. पहले गुट ने एच. डी. देवेगौड़ा के नेतृत्व में जनता दल (सेक्यूलर) के रूप में खुद को अलग कर लिया जबकि दूसरा धड़ा शरद यादव के नेतृत्व में अस्तित्व में आया. बाद में जनता दल का शरद यादव गुट, लोकशक्ति पार्टी और समता पार्टी का 30 अक्टूबर 2003 को आपस में विलय हो गया और जनता दल (यूनाइटेड) नाम से एक नई पार्टी का गठन हुआ.

 

 

 

 

वार्ता


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