नीतीश राजनीति के पलटूराम, उनपर भरोसा कर मूर्खता की : लालू
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'राजनीति का पलटूराम' बताया और कहा कि उनपर भरोसा कर उन्होंने मूर्खता की थी.
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव संवाददाताओं से बात करते हुए. |
यादव ने आज पटना में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि नीतीश कुमार राजनीति में कभी भी भरोसे के लायक नहीं रहें हैं. वह राजनीति के पलटूराम हैं और उनका कोई राजनीतिक चरित्र नहीं है. उन्होंने कहा कि वह उनके चरित्र को जानते थे इसलिये उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाये जाने के पक्ष में नहीं थे लेकिन समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव उनके पक्ष में थे.
राजद प्रमुख ने कहा कि इस पर उन्होंने मुलायम सिंह यादव को कहा था कि वह कुमार को जानते हैं, वह भरोसे के लायक नहीं हैं. उन्हें जनता को जवाब देना होगा इसलिये वह (मुलायम सिंह) ही उनके नाम की घोषणा करें. उस समय उन्होंने मीडिया के सामने कहा था कि साम्प्रदायिक और फासीवादी ताकतों को सत्ता से दूर करने के लिये उन्हें जहर पीना पड़ा तो वह जहर भी पीयेंगे.
यादव ने कहा कि कुमार हाथ जोड़कर उनके पास आये थे और कहा था कि वह बूढ़े हो गये हैं इसलिये एक कार्यकाल के लिए उन्हें मुख्यमंत्री बनने दीजिये लेकिन कुमार अनंतकाल तक मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं इसलिये जब उन्हें दिखा कि तेजस्वी यादव अच्छा काम कर रहे हैं और चारों ओर उनकी सराहना हो रही है तब उन्होंने सत्ता की लालच में आकर उनको (तेजस्वी) झूठे मुकदमे मे फंसाने के लिये भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर साजिश की. उन्होंने कहा कि कुमार उनके बेटों की बली चाहते थे.
राजद प्रमुख ने कहा कि किसी को भ्रम नहीं है कि उनके और परिवार के सदस्यों के खिलाफ मुकदमा कुमार ने ही केन्द्र सरकार से कराया है. उन्होंने कहा कि भाजपा और जनता दल यूनाईटेड (जदयू) के बीच मैच पहले से ही फिक्स था इसलिये इस मामले में कुमार ने तेजस्वी यादव का बहाना बनाकर इस्तीफा दे दिया था. यदि तेजस्वी यादव इस मामले पर सार्वजनिक तौर पर बयान भी देते तब भी कुमार भाजपा के साथ जाते.
यादव ने कहा कि कुमार ने अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा उनकी पार्टी भाजपा के सामने भले ही घुटने टेक दिये हों लेकिन वह उन्हें केन्द्र की सत्ता से बेदखल करके ही चैन लेंगे. उन्होंने कहा कि जदयू नाम की पार्टी अब नहीं रह गयी है. कुमार और उनके साथ के लोगों ने भगवा ध्वज उठा लिया है इसलिये अब वे जय श्रीराम कहते रहें. यदि वे वैसा नहीं कहेंगे तो भाजपा उन्हें विदा कर देगी. वैसे भी अब उन्होंने खुद अपनी विदाई तय कर ली है.
लालू ने कहा कि नीतीश शुरू से ही साम्प्रदायिक शक्तियों और सवर्णों के साथ रहे हैं जबकि वह हमेशा से पिछड़ों, दलितों और अल्पसंख्यकों की आवाज बनकर उन्हें ताकत देते रहें हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री के जाति के नेता नहीं बल्कि जननेता होने के दावों को हास्यास्पद बताया और कहा कि वह बतायें कि वर्ष 1994 में गांधी मैदान में कुर्मी रैली किसने आयोजित की थी. उन्होंने चुनौती भरे लहजे में कहा कि कोई उन्हें बताये कि अब तक राजनीतिक जीवन में क्या कभी उन्होंने किसी यादव रैली का आयोजन किया या ऐसी किसी रैली में उन्होंने हिस्सा लिया है.
राजद प्रमुख ने कहा कि कुमार कितने कद्दावर नेता हैं यह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के परिणाम से ही पता चल जाता है. जब राजद और जदयू ने अलग-अलग चुनाव लड़ा तब जदयू दो सीटों पर ही सिमट गया जबकि राजद को चार सीटों पर जीत मिली. उन्होंने कहा कि राजद उस चुनाव में विधानसभा की 34 सीटों पर पहले और 116 सीटों पर दूसरे स्थान पर था. इसी तरह कांग्रेस 12 सीट पर पहले और 34 सीट पर दूसरे स्थान पर रही. वहीं, जदयू सिर्फ 19 सीट पर पहले और 20 सीट पर दूसरे स्थान पर रहा. 131 स्थान पर उसके उम्मीदवारों को जमानत बचाने लायक वोट भी नहीं मिले थे.
यादव ने कहा कि कुमार की राजनीतिक हैसियत के अनुसार उन्हें वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में सीटों के तालमेल के समय मात्र 31 सीटों पर ही सिमटा देते लेकिन उन्होंने बड़ा दिल दिखाते हुए जदयू को राजद की परम्परागत सात सीटों के साथ कुल 101 सीटें दे दी. उन्होंने कहा कि जदयू को 100 सीटों तक पहुंचाने के लिये कांग्रेस की सीट को भी कम करना पड़ा था.
राजद प्रमुख ने कहा कि नीतीश के मन में शुरू से ही खोट था और उनके प्रति बेइमानी का भाव था. उन्हें लगता था कि वह और कांग्रेस 140 सीटें जीत जायेंगी, तब वह राजद को अलग कर सरकार बना लेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद भी कुमार को राजद और कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के 53 विधायकों पर भरोसा था इसलिये उन्होंने सरकार बनने के बाद न तो तीनों दलों की समन्वय समिति बनायी और न ही न्यूनतम साझा कार्यक्रम ही बनाया.
लालू ने कहा कि नीतीश कुमार उनसे घृणा करते थे इसलिये विधानसभा चुनाव के समय एक जगह भी उनके साथ फोटो वाला कोई पोस्टर नहीं लगने दिया. उन्होंने कहा कि कुमार की राजनीतिक नैय्या वर्ष 2015 में उस समय ही डूब जाती जब जीतन राम मांझी ने उनकी कठपुतली बनने से इंकार कर दिया था. उस समय उन्होंने उन्हें राजनीति में फिर से दुबारा खड़ा किया लेकिन अब वह कभी भी जिंदगी में उन्हें समर्थन नहीं देंगे.
राजद प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव को 27 अगस्त की 'भाजपा भगाओ, देश बचाओ' रैली में आने के लिये न्योता दिया है. वह अवश्य इस रैली में आयेंगे. उन्होंने कहा कि यादव भाजपा के साथ जाने के नीतीश कुमार के फैसले से दुखी हैं.
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