विचार से धर्मनिर्पेक्षता और पारदर्शिता का समर्थक, धन संपत्ति अर्जित करने वाले का साथ नहीं: नीतीश
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस और राजद पर हमला करते हुए शुक्रवार को कहा कि वह विचार से धर्मनिर्पेक्षता और पारदर्शिता के समर्थक हैं. कोई धन संपत्ति अर्जित करने के लिए राजनीति करेगा तो वह उसका साथ नहीं दे सकते.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो) |
विश्वासमत के दौरान नीतीश ने कहा कि बिहार की जनता ने जो जनादेश (मेनडेट) दिया है वह काम करने, जनता की सेवा और धर्मनिर्पेक्षता के लिए दिया है. कई प्रकार की कठिनाइयां आयीं. हमने गठबंधन धर्म का पालन करते हुए हर समस्या को दूर करने की कोशिश की और एक पार्टी (राजद) द्वारा गठबंधन धर्म के विपरित न जाने कितने व्यक्तव्य दिए गए. मैंने सबको झेला.
उन्होंने कहा कि हम विचार से धर्मनिर्पेक्षता और पारदर्शिता के समर्थक हैं. किसी भी तरह से कोई धन संपत्ति अर्जित करने के लिए राजनीति करेगा तो हम उसका साथ नहीं दे सकते. यह हमारा संकल्प है.
नीतीश ने कहा कि बिहार और न्याय के साथ विकास के हित में यह फैसला जदयू ने लिया है. भाजपा और राजग के अन्य घटक दल तथा निर्दलीय विधायक जिन्होंने समर्थन का एलान किया है उन्हें मैं धन्यवाद देता हूं. यह सरकार आगे चलेगी और बिहार की सेवा करेगी.
उन्होंने कहा कि मेरी प्रतिबद्धता जनता की सेवा करने की है, न कि एक परिवार (लालू परिवार) की सेवा की. यह राज भोग और मेवा के लिए नहीं बल्कि सेवा के लिए मिलता है और स्थिति ऐसी थी कि मेरे लिए बचाव करना संभव नहीं था.
उन्होंने कहा, हमने जब समझा कि मेरे लिए अब यह चलाना संभव नहीं है तब हमने अपने आपको अलग कर लिया....हमने जो भी फैसला लिया वह बिहार के विकास के हित में लिया है.
उन्होंने कहा कि धर्मनिर्पेक्षता विचार की चीज है. धर्मनिर्पेक्षता भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने, शब्द का इस्तेमाल करने के लिए नहीं है.
नीतीश ने कहा, हमको धर्मनिर्पेक्षता का पाठ इस देश में कोई नेता नहीं पढा सकता है, हम जानते हैं कि इन लोगों की क्या स्थिति है. ये धर्मनिर्पेक्षता का इस्तेमाल खुद को बचाने के लिए करते हैं.
उन्होंने कहा कि बिहार के हित में यह सरकार कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध है. भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति पर, सुशासन के लिए काम करेगी. समाज के हर तबके के हित की रक्षा होगी. बिहार तरक्की की नई उंचाई को प्राप्त करेगा.
उन्होंने कहा कि जनता में तो गरीब, अतिपिछड़े और दलित समाज के लोग दुखी हो रहे थे, जिस प्रकार का व्यवहार सत्ता में आने बाद लोगों के साथ गांव एवं देहात में होने लगा था, लोग परेशान थे. जिन्होंने भी वोट किया वे आज परेशान थे इसलिए आप सबके हित में और राज्य के हित में यह फैसला लिया गया है.
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