SC से शहाबुद्दीन की जमानत रद्द, फिर गए जेल
उच्चतम न्यायालय ने हत्या के एक मामले में विवादास्पद राजद नेता शहाबुद्दीन की जमानत शुक्रवार को रद्द कर दी. इसके बाद शहाबुद्दीन ने सीवान अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया.
शहाबुद्दीन की जमानत रद्द, फिर गए जेल (फाइल फोटो) |
शहाबुद्दीन ने जमानत रद्द होने की जानकारी मिलने के बाद करीब 2.15 बजे सीवान की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया. जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया.
इससे पहले न्यायमूर्ति पी. सी. घोष और न्यायमूर्ति अमिताभ रॉय की पीठ ने पटना उच्च न्यायालय के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसमें शहाबुद्दीन को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया था. पीठ ने पूर्व सांसद को तत्काल आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया.
पीठ ने बिहार सरकार को इस बाहुबली नेता को तत्काल हिरासत में लेने का आदेश भी दिया. न्यायालय ने कहा कि इस मामले में पटना उच्च न्यायालय का फैसला निरस्त किया जाता है.
पीठ ने निचली अदालत को भी निर्देश दिया कि शहाबुद्दीन की जमानत निरस्त कराने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने वाले चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू के बेटे राजीव रोशन की हत्या के मामले का तेजी से निपटारा करे. इस हत्या के मामले में शहाबुद्दीन आरोपी है.
पीठ ने सभी सम्बद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था और फैसला सुनाने के लिए शुक्रवार की तारीख मुकर्रर की थी.
राजीव रोशन अपने दो भाइयों की हत्या और उसे तेजाब में डालने की जघन्य घटना का एकमा चश्मदीद गवाह था, जिसकी शहाबुद्दीन के गुर्गे ने उस वक्त हत्या कर दी थी जब वह दोनों भाइयों की हत्या के मामले की सुनवाई में गवाही देने जा रहा था. चंदा बाबू की ओर से जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने पैरवी की.
शहाबुद्दीन को भागलपुर जेल से रिहा किये जाने के बाद उठे राजनीतिक तूफान को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने भी शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.
भूषण ने दलील दी थी कि यदि शहाबुद्दीन जेल से बाहर रहा तो अनेक मामलों में राजद के बाहुबली नेता के खिलाफ गवाही नहीं दे पायेंगे और उनके बीच दहशत का माहौल बना रहेगा.
उधर शहाबुद्दीन की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता शेखर नाफडे ने दलील दी थी कि आरोप पत्र में उनके मुवक्किल को आरोपी नहीं बनाया गया है. उन्होंने कहा कि अभियोजन एजेंसी के आरोप पत्र और पूरक आरोप पत्र में भी कमी पाई गई है.
नाफडे ने सवाल खड़े किये थे कि शहाबुद्दीन से जुड़े आरोप पत्र को अदालत को क्यों नहीं सौंपा गया. उनके मुवक्किल को बेवजह सिवान जेल से भागलपुर जेल भेजा गया.
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